Shikhar Agrawal  
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Joined 8 March 2019


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Joined 8 March 2019
30 OCT 2023 AT 2:32

लोट के फिर से आए हो?
तुम तो चले गए थे ना।
हाल फिर से पुछा है?
पर हम तो बिछड़ गए थे ना । ।
ये सावली रंगत हुई है कैसे?
तुम तो निखर गये थे ना।
मेरे हो ये कहते हो।।
पर तुम तो मुखर गए थे ना?
क्या फायदा पछतावे का।।
हम तो बिछड़ गए थे ना !!!
बिखरे हुए को जोड़ने आए हो
तुम तो बदल गए थे ना।।।
इस बार हर जख्म कुरेदने आए हो
हम तो बिछड़ गए थे ना।
वैसे मालूम था तुम मिलने जरूर आओगे।।।
इस बार हर कतरा दफन कर जाओगे
हम मिले थे कभी, ये किस्सा खत्म कर जाओगे।
किस्सा हो गया खत्म मैं तो रह लूगा
क्या तुम मेरे बिना रह पाओगे।।
चलो छोडो ये, बातें मेने तो भूला दिया तुम्हे
क्या तुम मुझे भूला पाओगे।।।

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24 MAR 2023 AT 22:56

हम अपने कदमों को तेज़ समझते रहे,
लोग चाँद पर चले गए और हम तारे गिनते रहे!

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15 MAR 2023 AT 1:13

वक्त आने पर पलट दूंगा खेल की बाज़ी,
ये दो कोड़ी के लोग खुद को बादशाह समझने लगे है।

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14 OCT 2022 AT 0:59

कभी डांटती है, तो कभी प्यार से समझाती है,
वो बिल्कुल मेरी मां के जेसी है! ❤️

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17 AUG 2022 AT 0:43

दिन में कितने आशियाने ढूंढ ले मन मेरा,
मैं रात का मुसाफिर और फितरत से आवारा हू!

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8 JUN 2022 AT 23:54

रास्ता भी हो पर मंजिल ना हो,
सफर पूरा भी करू पर पूरा ना हो!

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7 JUN 2022 AT 18:21

सफर में निंद की मजबूरी हो,
लगे मानो मंज़िल भी एक मजदूरी हो!

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7 JUN 2022 AT 1:28

कभी कभी खामोशियां बहुत जोर से रो रही होती है।
मैं अक्सर तब जाग जाता हू, जब दुनिया सो रही होती है।

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8 NOV 2021 AT 11:06

मेरे अल्फ़ाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का,
मैं खामोश हू जहा, मुझे वह से सुनिए ।।

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18 OCT 2021 AT 6:18

रात के चांद जैसी है यादे भी उसकी साहेब।
हर रोज़ घट बढ़ कर मिलने आती है मुझसे।

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