कौन जाने ये रातें ये मुलाकातें कल होंगी या नहीं
कौन जाने ये इतनी सारी बातें कल होंगी या नहीं
मत रोक मुझे जी लेनें दे इस लम्हे को
कौन जाने फिर कल ये बरसाते होंगी या नहीं..🤎
जी तो करता है इस लम्हे को समेट लू अपनी बाहों में
खोलू अपनी पलकें और भर लूं इन्हें निगाहों में
कितना सुकून भरा है इस पल में
चाहत तों यही है कि फैलाउ अपनी पंखे
और लेकर उड़ जाऊं इन्हें आसमानों में ..!❣️
-