तुम ईश इष्ट हो रब मेरे दिन,धरम मजहब हो तुम.. ढूंढा जब जब खुद को तो मिले मुझमें तब तब हो तुम.. लापता हो तुम अपने पते से मुझमें खुद को रख छोड़े हो, तलाशोगे खुद को तो पाओगे कि नहीं अपने पास अब हो तुम...श्री
एक सवाल आज खुद से है, पूछना ये अपने वजूद से है.. कि,औरों की गलतीयों पर जो, बन जाते हम न्यायाधीश है.. फिर अपनी गलती पे वकील बने तो क्यूँ आपत्ति नहीं खुद से है...श्री
तुमने बल्कि, ना साथ दिया.. हौंसला बढाया.. ना हाथ दिया, विश्वास जगाया, कदम कदम पर कदम कदम पर.. कहा, रहे साथ, मुट्ठी भींच लो.. सदा ताकत बन.. जग जीत लो, मेरी हिम्मत बन, कदम कदम पर.. कदम कदम पर...श्री