शब्द श्रृंगार   (शब्दश्रृंगार)
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सुनो..
बस एक कमी तुम्हारी..
मेरी..
हर खुशियों पर भारी...SS
Joined 5 May 2018


सुनो..
बस एक कमी तुम्हारी..
मेरी..
हर खुशियों पर भारी...SS
Joined 5 May 2018

हूँ मैं घोर तमस
मेरे कृष्ण

हो तुम हृदय के ओज
मेरे कृष्ण

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सच तो ये है कि,
जिंदगी से भाग तो सकते नहीं..
इसलिए सामने जो
हालात है उसका डट के सामना करें..श्री

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बातें कर अब मुस्तक़बिल की,
तू तो माज़ी से छुटकारा ले..
गुजरे वक़्त को यूँ याद ना कर,
तू नए ख्वाबों का सहारा ले...श्री

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तुम ईश इष्ट हो रब मेरे
दिन,धरम मजहब हो तुम..
ढूंढा जब जब खुद को तो
मिले मुझमें तब तब हो तुम..
लापता हो तुम अपने पते से
मुझमें खुद को रख छोड़े हो,
तलाशोगे खुद को तो पाओगे
कि नहीं अपने पास अब हो तुम...श्री

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बुध हो जाने का अर्थ
स्वयं का स्वयं में जागृत
हो जाना...श्री

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कहानी कोई भी हो,
किरदार में दम होना चाहिए...श्री

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जिंदगी में
दो ही नशा
एक मुहब्बत तेरी,
दूजी चाय है..
ये तो मेरी है,
अब आप ही
बताइए कि आपकी
क्या राय है...SS

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एक सवाल आज खुद से है,
पूछना ये अपने वजूद से है..
कि,औरों की गलतीयों पर जो,
बन जाते हम न्यायाधीश है..
फिर अपनी गलती पे वकील बने
तो क्यूँ आपत्ति नहीं खुद से है...श्री

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तुम पास ही क्यों आये..
मुझसे प्रेम क्यों जताए..
अलविदा ही कहना था तो,
मेरे हृदय में क्यों समाए...श्री

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तुमने बल्कि,
ना साथ दिया.. हौंसला बढाया..
ना हाथ दिया, विश्वास जगाया,
कदम कदम पर कदम कदम पर..
कहा, रहे साथ,
मुट्ठी भींच लो.. सदा ताकत बन..
जग जीत लो, मेरी हिम्मत बन,
कदम कदम पर.. कदम कदम पर...श्री

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