नाम मिला,पहचान मिली है,उनसे मेरे वजूद को,
थाम उन्ही की उंगली पहुंचा हर मंजिल मक़सूद को,
मां जमीन, वो आसमान हैं और मैं बादल हूँ
मेरा कल मेरे पापा, मैं पापा का कल हूँ
मैं मुस्काया तुम मुस्काये,मैं रोया तुम रोये,
खार मेरी राहों से चुनकर फूल तुम्ही ने बोए,
बागवान मेरे मैं तुम्हारी मेहनत का फल हूँ
मेरा कल मेरे पापा...
आज मैं जो कुछ बन पाया हूँ सब रब की रहमत है,
और मेरे पापा की पाक दुआओं की बरकत है
भागीरथ हैं वो मैं गंगा मैया का जल हूँ
मेरा कल मेरे पापा मैं पापा का कल हूँ
-शराफ़त समीर
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