आज फिर से तुम्हारी याद इन आँखो को भिगो कर गयी । पता नहीं तुम कहाँ हो, कैसे हो, बस उम्मीद है, तुम जहाँ कहीं भी होगे बहुत खुश होगे । इतने खुश कि तुम्हें खुश देख,तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देख, ये आँखे भर तो आए ,मगर खुशियों की आंशु से ।।
मुझसे दुर जाने का तरप उन आंसुओं के ज़रिये देखा ही नही, मेहसूस भी किया था मैनें ।। बस कभी ज़ाहिर नहीं किया, पर ज़ाहिर नही किया इसका ये मतलब नहीं की मैने प्यार हीं नही किया ।।
कैसे बयाँ करू मैं इनके प्यार को ... कभी रोते तो नाही देखा,हां आँखों में आँसू छिपाते देखा है । खुद उसी एक खिसी हुई चप्पल में सालों गुजार लेते,पर हमारे लिए हर साल नया तोहफा लाते देखा है । कभी परेशान तो नही देखा, पर हा उस एक मुस्कुराहट के पीछे अपनी सारी परेशानियों को छिपाते देखा है ।।