चाहे भरलो नदिया सारी
चाहे भरलो सारा समंदर
टूटा गमला भरोगे कैसे
बहता रहे सब भरते भरते
निकला टूटी दरारों से सारा यही
इच्छाओं का भूखा घड़ा भरता नही
वासनाओं का प्यासा घड़ा भरता नही
देदो चाहे सारा आसमां
चाहे देदो अपार जमीन
खाली रहे मन भरोगे कैसे
पाकर भी सब वो खाली हाथ बैठा
फटा लालसा का दामन टूटे गमले सा
अपेक्षाओं का भूखा घड़ा कभी भरता नही
आशाओं का प्यासा घड़ा कभी भरता नही
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