Shailaja Singh   (✍SHailaja Singh)
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Joined 21 July 2019


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Joined 21 July 2019
27 DEC 2023 AT 21:47

दिन भर में हुए रिश्तों का हिसाब कर के
गलतियों के जोड़ को खुशियों के घटाव से
दुखों के भाग को फिर पछतावे से गुणा कर के सोने का..

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22 DEC 2023 AT 22:07

उनको पसन्द आने लगीं हैं खामोशियाँ मेरी,
शिकवा शिकायतों के सिलसिले अब खत्म हो चले हैं..

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26 JUN 2023 AT 0:42

शिकायतें सिमट रही हैं खुद में अब,
इश्क़ उनकी नजरों में अब गहरा हुआ है..

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26 JUN 2023 AT 0:27

कुछ शब्द मेरे डायरी में ही अब सजे रहते हैं,
क्योंकि उनको हमारे बीच के सन्नाटे अच्छे लगते हैं..

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26 FEB 2023 AT 23:42

दो रास्ते छोड़े हैं
किस्मत ने
मेरे आगे ,
उसका घर
या
आपका दर..


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24 FEB 2023 AT 11:21

जितना जरूरी लगा
उतना जाना हमें,
जैसा मन किया
वैसा ढाला हमें,
स्त्री मन है
स्थिर कहाँ होगा भला,
बस ये सोच के
सब ने टाला हमें..

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16 FEB 2023 AT 16:12

कौन
समझा है
भला स्त्री
को?

ये उम्र भर
का सवाल ही
एक पुरूष के
हृदय में स्त्री
के लिए
अथाह प्रेम
है..

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30 SEP 2022 AT 17:11

चाँद बन गया,
जिसको प्यार ने छोड़ा
वो खाक़ बन गया..

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28 SEP 2022 AT 20:54

चलो बहुत हुआ रूठना अब मान भी जाओ ना
तुम में जान बसती है मेरी 'मेरे जाना'..

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18 JUN 2022 AT 8:56

दीवारे चीखती हैं मेरे कमरे की,
खौफ़ जमाने से नहीं खुद से होने लगा है,
उसका होना जरुरी था ये सबको खबर थी,
मगर हमें उससे ही कहना नहीं था,
सामने आये वो तो हमनें नज़रे झुका लीं,
ये कहके कि आंखों में कचरा गिरा है,
चेहरे की उदासी में वो सब पढ़ गए थे,
हमनें जो अपने दिल मे लिखा था..

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