Shahida Parween   (❤️Shahida❤️)
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Joined 18 June 2020


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Joined 18 June 2020
14 AUG 2023 AT 10:20

दिल में दर्द और होंठो पे मुस्कान है,
"वो" एक शख्स हर महफ़िल कि शान है...
बेवक़्त उठने वाले दिल में तूफ़ान सा...
बेख़बर मुझसे "वो" मेरे इस दिल कि जान है!

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4 FEB 2023 AT 9:29

दिन को महीनो में बदलते देखा है,
महीनों को वर्षो में बदलते देखा है,
मैने तेरा अपनी ज़िन्दगी में आना देखा है,
मैने तुझे मेरा, मेरे लिए छोड़ कर जाना भी देखा है!
जो कभी सोचा न था मैने....
तेरी उन आँखो में मैने उसके लिए बेशुमार मोहब्बत का फ़साना देखा है!

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5 JAN 2022 AT 20:51

ये लकीरे.. ये नसीब.. ये किस्मत.. सब फरेब के आईने हैं, तेरे साथ के एहसास से ही मुकम्मल...
मेरे ज़िन्दगी के मायने है!

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11 SEP 2021 AT 17:27

इश्क़ में मिला क्या दिल लगा कर,
पछतायी बहुत हूँ चोट खा कर!
पता नहीं क्या रोग पाला है,
किसी कि यादें दिल में बसा कर!
"शाहिदा" उस शख्स से रिश्ता न रखना,
जो गुज़र जाता है नज़रे बचा कर! 😊

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22 JUN 2021 AT 20:32

मुस्कुराती आँखों से अफ़साना लिखा था,
शायद उसका इस ज़िन्दगी में आना लिखा था,
तक़दीर तो देखो मेरी आँसुओ की,
इनका भी उसकी याद मे बह जाना लिखा था!

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27 APR 2021 AT 22:35

वक़्त वक़्त की बात है...
जो दौर आया है, इस दौर में,
न जाने ये वक़्त कितनो के पास है??
जो वक़्त बचा है उसमे खुशिया समेट लो,
क्या पता आने वाला जो वक़्त हो....
उस वक़्त में बस जीने की आस हो!!

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11 APR 2021 AT 10:21

ख्वहिशो को किया था "सुपुर्द-ए-खाक",
मगर अब तक बाकि है उसकी राख!!

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8 APR 2021 AT 10:14

बेज़ार सी रात में जब हयात पर होती बात उससे,
कभी जज्बात तो कभी साझा करती ख्यालात उससे,
कुछ इस क़दर मुक्कमल होती जा रही हूँ इश्क़ में,
जब नज़र ही नज़र में अक्सर हो जाती मुलाकात उससे।

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30 MAR 2021 AT 21:40

"प्यार" का पहला, "इश्क़" का दुजा और "मोहब्बत" का तीसरा लफ़्ज़ आधा है,
आज खामोशियो का शोर हद से कुछ ज्यादा है!

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23 FEB 2021 AT 23:01

मोह्ब्बत अगर मुकम्मल हो जाए तो चाहत फ़िर किस बात कि रहेगी,
बिन दुआओ के ही खुदा मिले तो फ़िर इबादत कि क्या औकात रहेगी.??😊


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