शिथिल से प्रवाह बन आह से अथाह बन शूक्ष्म से असीम बन क्षीण से प्रवीण बन नीरस से मौज बन बोझ से ओझ बन भीड़ से पृथक बन मिथक से अथक बन तुच्छ से अहम बन बेरहम से मरहम बन पीर से नीर बन अधीर से गंभीर बन हीन से उदार बन निराधार से आधार बन पन्ने से किताब बन संताप से प्रताप बन समस्या से निदान बन आदमी से इंसान बन !!
मेरी जगह, तेरी जगह, इसकी जगह, उसकी जगह, उलझें हे इस फेर में, आखिर है किसकी जगह, जब बोलते थे ये मेरी है, सब ठीक थे अपनी जगह मालिक आते जाते रहे, जगह रही अपनी जगह कीमत लगा खरीद ली, शहर की सारी जगह बेघर रहा ताउम्र ना पाया जो दिल में जगह
NRC का विरोध करने वालों इतना तो बतलादो घुसपैठियों की पहचान कैसे हो मुझको ये समझादो जो अब अपनों में बसें गैरों को ना छाँटोगे तुम अपने हिस्से का हक़ क्या कल उनसे बांटोगे तुम CAA में मुसलमान भी शामिल जो कर लोगे क्या सब पड़ोसियों को अपने घर में भर लोगे शरणार्थी और घुसपैठिये में पहले फर्क करना सीखो किसके विरोध में हो तुम एक बार फिर से देखो जो बेघर है उसे शरण देना का है कायदा विरोध से केवल है घुसपैठियों को फायदा अपनी समझ का दायरा इतना बड़ा करलो धर्म से पहले अपने देश को खड़ा करलो
है इम्तिहान कोई अनकहे अल्फाज़ को समझें मैं मौन हुँ कोई मेरे जज़्बात को समझें कहते है हर बात ज़ुबाँ से बयां नहीं होती है दोस्त वो जो दोस्त के हालात को समझें