नीले अम्बर के जैसा अब ठहरा हुआ हूँ "मैं" वक़्त के अनेकों वार से बहुत गहरा हुआ हूँ "मैं" छोड़ दिया "मैं" ख्वाहिशें तमाम अब शोर क्या, हां अब दिल से पत्थर , गूँगा बहरा हुआ हूँ "मैं"
जल से सीखने योग्य उत्तम बात... हर स्थिति और किसी भी आकार में खुद को समायोजित करें। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमेशा प्रवाह का अपना रास्ता खोजें।