न खतरे मे कोई मस्जिद, न खतरा मंदिर पर है
न खतरे मे कोई हिन्दू, न खतरा मुसलमान पर है
खतरे मे अधिकार हमारे ,खतरे मे आजादी है
खतरे मे है संविधान हमारा, खतरा बस इंसान पर है
भेदभाव की हवा चली है,अत्याचार उफान पर है
फ़िज़ा हो चुकी है जहरीली,प्रजातंत्र अवसान पर है
ब्रेन वाश है किये जा रहे, तानाशाही चरम पर है
चुनाव आयोग मुकदर्शक बन बैठा,लोकतंत्र समापन पर है
आओ दिखा दो ताकत अपनी, मौका अभी भी हम पर है
मतदान हमारा बहुत मूल्यवान,मसला देश की आन पर है
✍️सरिता महिवाल
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