Sarita Mahiwal   (Saritaa Mahiwal)
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Practice alot and see the magic
Instagram ID= sarita_mahiwal
Joined 27 August 2021


Practice alot and see the magic
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3 HOURS AGO

कृपया अनुशीर्षक पढें 🙏

दहेज प्रथा नहीं भीख लेने
का सामाजिक तरिका हैं

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5 HOURS AGO

तारीफ़े दिन बनती है और ताने ज़िंदगी
इसलिए जब कोई ताने दे तो उसे अपनी ताकत बना लो

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2 MAY AT 15:39

तुम ही से बाहर है जीवन में, तुम ही बसंत हो इस दिल का
तेरी बाहों में जन्नत है, तुम ही करार हो इस दिल का

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2 MAY AT 11:45

न खतरे मे कोई मस्जिद, न खतरा मंदिर पर है
न खतरे मे कोई हिन्दू, न खतरा मुसलमान पर है

खतरे मे अधिकार हमारे ,खतरे मे आजादी है
खतरे मे है संविधान हमारा, खतरा बस इंसान पर है

भेदभाव की हवा चली है,अत्याचार उफान पर है
फ़िज़ा हो चुकी है जहरीली,प्रजातंत्र अवसान पर है

ब्रेन वाश है किये जा रहे, तानाशाही चरम पर है
चुनाव आयोग मुकदर्शक बन बैठा,लोकतंत्र समापन पर है

आओ दिखा दो ताकत अपनी, मौका अभी भी हम पर है
मतदान हमारा बहुत मूल्यवान,मसला देश की आन पर है
✍️सरिता महिवाल

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1 MAY AT 17:03

देश की प्रगति में एक बड़ा योगदान निभाता है
वो मजदूर है साहब उसकी किस्मत में आराम कहां आता है

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1 MAY AT 16:33

कृपया अनुशीर्षक पढें 🙏

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30 APR AT 15:53

गुलाब देने भर से प्यार निभता नहीं, इश्क़ वो तोहफ़ा है जो हर किसी को मिलता नहीं
लाख साजिशें कर लो ये फलता नहीं, इश्क़ है रूहानी एहसास हर कोई महसूस कर सकता नहीं

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29 APR AT 19:53

दीदार-ऐ-यार के सिवा इन आंँखों को कोई प्यास नहीं
तेरे सिवा हमें इस जमाने में किसी की तलाश नहीं

तू जो इक बार साथ निभाने का वादा कर दे
खरीद सके हमें इस जमाने में ऐसी दौलत नहीं

तूने देखा ही कहां है अभी दीवानापन मेरा
मेरी तरह तुझको कोई चाहे ऐसी कोई रूह ही नहीं

बहारों का रंगीन मौसम भी पतझड़ नजर आता है मुझे
वो महफिलें वीरान है जहां तुम ही नहीं

लोग देखे होंगे तुमनें तुम्हें अपना कहने वाले
टूट जाए जो तेरी जुदाई में मिलेगा कोई मुझसा नहीं

तेरे प्यार बिना सब सूना सा लगता है मुझे मेरे साथी
तेरे आने से जो आती है बहार ऐसी कोई बहार नहीं

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28 APR AT 19:39

तेरे गुलाब की जरुरत नहीं है मुझे, तू मुझे आजमाया ना कर
इश्क़ जाँ से बढ़कर करते हैं तुझे, तू सताया ना कर

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27 APR AT 18:32

शर्म है कि इन्हें आती नहीं
नेताओं को ये भाती नहीं
आचार-संहिता लागू है
फिर भी जुबान बेकाबू है
आँखें मूंद चुनाव आयोग लेटा है
लगता चमचा इनका बन बैठा है
युवा बेरोजगारी से त्रस्त हैं
ये हिंदू-मुस्लिम में व्यस्त हैं
विदेशों में जाकर डंका बजाते हैं
जमीनी हकीकत पर पर्दा गिराते हैं
बड़ी बड़ी योजनाएं लाते हैं
जनता को मिलने से पहले खा जाते हैं
गरीबों को और गरीब बनाते हैं
अमीरों को ये गले लगाते हैं
खुद फकीर से अमीर बन जाते हैं
जमीर अपना बेचकर खा जाते हैं
शिक्षा पर ताला लगवाते हैं
सवालों से घबराते हैं
आना ना तुम इनके झांसे में
ये भाई-भाई को लड़वाते हैं
✍️सरिता महिवाल

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