भले जीवन में आसानी नहीं है भरा आँखों में पर पानी नहीं है कोई चेहरा यूँ नूरानी नहीं है जहां में आपका सानी नहीं है डुबा ही दे वफ़ा की कश्तियों को नदी इतनी भी तूफ़ानी नहीं है लगा मेला ग़मों का है मुसलसल मेरे जीवन में वीरानी नहीं है लुटा दे ख़ुद का घर औरों की खातिर कोई इतना बड़ा दानी नहीं है गुजरती जा रही है ज़िन्दगी जो वो वापस लौट कर आनी नहीं है दुखाये दिल किसी का जो भी हर्गिज़ ज़ुबाँ पर बात वो लानी नहीं है सभी हैं एक से जमहूरियत में कोई राजा, कोई रानी नहीं है बदलती देख कर अपनों की फितरत तनिक भी को हैरानी नहीं है
Ladki Apni shaadi shuda zindagi ka pehla saal toh apni khoobsurati or dilkashi k sahaare guzzar sakti hai , lekin baaqi zindagi use Apne ekhlaaqe , saleeqa , sabr or bardaasht ki baisaakhiyon k sahaare hi guzarni padti hai.....