"प्यार"
जब किसी से "प्यार"करो,तो ऐसे करो,
जिससे प्यार करो उसकी खुशी में खुश रहो,
उसके दु:ख में दुःखी हो जाओ,
दिखावटी और समझौते का,
प्यार-प्यार नही "छलावा" होता है।
"निस्वार्थ" प्यार करो बिना कुछ माँगे
बिना खोने या छीनने के डर से,
बिना स्वार्थ निभाया रिश्ता हमेशा
साथ होता है। आपना होता है
एकतरफा प्यार भी,
एक अनोखा बंधन होता है जो बिना
कोई उम्मीद के सिर्फ दिल से ,
निभाया जाता है।
ऐसे पावन रिश्तो का ही तो,
जन्मों-जन्मों तक साथ होता है।।
({@~My words~@})
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