Sanskriti Singh   (©Free soul🦋)
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Joined 11 March 2019


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11 AUG 2023 AT 10:01

जिन्हें जिम्मेदारी का बोझ बहोत है

पर बखूबी संभालने का हुनर पता है....

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28 NOV 2022 AT 10:20

कोई तड़प रहा है वस्ल के इंतजार में
किसी को एक कतरा भी फिक्र नहीं है।

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28 NOV 2022 AT 10:17

ये रफाकत भी किसी काम की नहीं
हरवक़्त लोग इस शब्द का भी फायदा जो उठाते है।।

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28 NOV 2022 AT 10:15

मेरी दुआओं के हर हर्फ़ में तुम हो.
तुम हो तो मुझे अपने जैसा होना आया यारा

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28 OCT 2022 AT 7:36

अनुभूति ही आनंद है...।

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27 JUN 2022 AT 13:24

ढलती शाम के साथ ढल जाता है दिन, रात, पुरानी सुबह,
और कभी- कभी ज़िन्दगी।

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17 MAR 2022 AT 12:03

मायने उस शब्द के भी बदल जाते हैं
जिसे वक़्त रहते न समझा जाए।।

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28 DEC 2021 AT 9:46

अपने अस्तित्व को भी एक बार
सजने सवरने दो
जो दब गयी है कहीं चेहरे की हसीं
उसे एक बार फिर से खिलने दो
तुम स्त्री हो
खुद को स्त्री ही रहने दो

तुम न देवी हो, न सती हो
पुराने आडंबरों की मार न सहने दो
तुम स्त्री हो
खुद को स्त्री ही रहने दो

बुलंद आवाज़, बेबाक अंदाज़
तुम्हारी यही पहचान है
किसी को अबला न समझने दो
तुम स्त्री हो
खुद को स्त्री ही रहने दो

रोना- गिड़गिड़ाना कमज़ोरों का काम है
अपने आत्मसम्मान की भीख मांगना
मौत के समान है
खुद को इतना भी दुर्बल न बनने दो
तुम स्त्री हो
खुद को स्त्री भी रहने दो.......!

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27 DEC 2021 AT 21:29

फुरसत के लम्हें फुरसत से
चुरा लेना चाहिए
ख्वाबों में भी एक नयी दुनियाँ
बसा लेनी चाहिए
जाने इतना क्यों सोचते हैं
भविष्य के बारे में
वर्तमान में भी एक दफा
गोते लगा लेना चाहिए।।

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16 DEC 2021 AT 22:43

"जाना" हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है
तो "रुकना" हिंदी की सबसे खूबसूरत क्रिया होगी
तो इस खूबसूरत क्रिया को थोड़ा और खूबसूरत बना सकते हैं....
बिना किसी संवाद के
थोड़ी देर ठहर कर

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