Sanskar Dewangan   (✍ S. K. Sinclair ✒❣️)
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Joined 31 August 2020


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7 NOV 2022 AT 10:22

यूँ तो चाँद सबको रौशन कर देता है,
पर मेरा चाँद तो मुझे अंधेरे मे धकेल गया।

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7 NOV 2022 AT 10:19

मैं....
मैं कौन हूँ! ये मुझे पता नहीं,
कहीं कोई आकर बता दे मुझे,
मैं भूल चुका हूँ अपनी पहचान,
कहीं कोई आकर मेरा नाम बता दे मुझे।।

इन अजनबियों के शहर में,
कहीं खो ना जाँऊ मैं,
इन ठंडी हवाओं मे,
कहीं घुल ना जाँउ मै,
इन सर्द के मौसम में,
कहीं जम ना जांऊ मै,
कोई आकर संभाल ले मुझे।।

रोज़ यूहीं थक- थक कर बेसहारा,
कहीं सचमुच ना मर जांऊ मै,
मैं कौन हूँ! ये मुझे पता नही,
कहीं कोई आकर बता दे मुझे।।

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19 OCT 2022 AT 17:50

तुम,
हाँ तुम सदा साथ हो मेरी,
तुम्हारे होने का एहसास मुझे है;

तुम,
कभी गर्मी मे ठंडी हवा बनकर,
कभी बारसात मे छाता बनकर,
कभी सर्दियों में गर्म चादर बनकर,
और कभी कड़कती धूप मे मेरा दरख़्त बनकर;
पास हो मेरी,
किसने कहा तुम दूर होगयी मुझसे,
तुम तो सदा साथ हो मेरी,
हाँ तुम सदा साथ हो मेरी।।

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18 OCT 2022 AT 21:00

You have to given exams in every phase of life, so keep your mind concentrated so that you can achieve the good results of all those exams.......

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17 OCT 2022 AT 19:12

आज कुछ अजीब सा लग रहा है,
ये शाम जो एक समय सुकून प्रदान करती थी,
अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रही है।।

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17 OCT 2022 AT 18:38

हमनें....
के हमने वफाओं ​की बातें की जफ़ाओं के सामने​, ​
ले चले हम अपना चिरागा हवाओं के सामने​,
​उठे हैं जब भी हाथ बदली हैं हमारी क़िस्मतें​,
क्योंकि ​मजबूर है ​खुदा भी दुआओं के सामने​।

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6 OCT 2022 AT 20:53

ख़त्म सा हो गया है इंसानियत का रिश्ता ही आज कल
जिन्दगी की भाग-दौड़ हर रिश्ते की जान ले रही है,
क़द्र पैसों की हो रही है और सब बेईमान है यहाँ
झूठ का कद बढ़ गया है और सच्चाई इम्तिहान दे रही है।

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6 OCT 2022 AT 20:50

न जाने ये जिन्दगी क्यों हर पल,
एक नया इम्तिहान लेती है,
लूट लेती है फिर ये हमसे खुशियाँ हमारी,
और हमें जीने का एक सबक देती है।

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6 OCT 2022 AT 20:45

नज़र और नसीब में भी क्या इत्तफ़ाक़ है,
नज़र उसे ही पसंद करती है,
जो नसीब में नही होता...

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5 OCT 2022 AT 18:03

Dear best friend,
It is ok that you're making new friends,
But replacing me might dangerous for you....

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