Sanju Kaswan   (संजय कस्वां)
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Student
Joined 4 December 2018


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31 DEC 2020 AT 23:43

ये साल भी तो लिबास है कालखंड का,
घोर भोगी है और साक्षी है पाखंड का।।
जब हम ना बदले तो क्या खाक बदला,
क्यों इंतज़ार है बेस्रबी से नव मार्तंड का।।

नया साल मुबारक
😊✍️ ✍️ ✍️ 😊
संजय कस्वां

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23 DEC 2020 AT 9:05

ये हलधर है, हल निकालना आता हैं।
चीर धरा को, फल निकालना आता है।।
लगे मुनासिब तो ज़रा आकर बाहर देखना!
है जुदा, मगर अमन चिराग जलाना आता है!!
#FARMER'SDAY

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17 DEC 2020 AT 20:37

"बिन जल एक पल भी कैसे"

पूरी कविता कैप्शन में पढ़े
👇👇👇

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16 DEC 2020 AT 18:25

ये हलधर है, हल निकालना आता हैं।
चीर धरा को, फल निकालना आता है।।
लगे मुनासिब तो ज़रा आकर बाहर देखना!
है जुदा, मगर अमन चिराग जलाना आता है!!

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23 APR 2020 AT 9:42

भीड़ बुलाई नहीं जाती यह खूद-ब-खूद बन जाती है!
मारना मानव को चाहते है, मगर सच इंसानियत मर जाती है!!

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19 APR 2020 AT 20:59

मेरे इश्क़ के शहर में, आप एक बार आओ तो सही!
कितने वजनदार है हम, अपने यहां तोलकर बताओ तो सही!!

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11 APR 2020 AT 9:27

ओ अच्छा पर मेंने उन्हें लोरियाँ कहा है!
फिर बताओ ये सिसकियाँ तो लोरियाँ कहां है...?

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4 APR 2020 AT 8:36

कभी कह दिया ना मित्रों,भाई - बहनों आज गोबर खाना है...
दूसरे दिन ये भक्त नारे लगाएंगे
" हम 130 करोड़ ने ठाना है,
अब गोबर खाकर सोना है"
🤭🤭

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10 FEB 2020 AT 21:28

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़े छिटकाए।
टूटे से फिर ना मिले मिले गांठ पड़ जाए। ।

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22 JAN 2020 AT 23:17

पढ़ लो कुरान की हर आयतें गीता को भी तुम खंगाल लो,
जहां लिखा हो हिंसा अच्छी है उन पन्नों को तुम संभाल लो।

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