sangeeta sharma   (_)
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Joined 12 June 2020


Joined 12 June 2020
3 JUL 2023 AT 8:21

बदनाम तो बहुत हूं मैं ,इस ज़माने में
तू बता,तेरे सुनने में कौनसा किस्सा आया है

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8 NOV 2022 AT 14:12

यूंही नहीं मान्यता बिंदी की,, स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती है
वो स्त्री है साहब...... स्वयं में ब्रह्माण्ड लिए चलती है

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7 SEP 2022 AT 7:07

अलमारी को खोला तो ,खत कुछ आज पुराने निकल आये
जाने मेरे चेहरे पर कैसे ,ये दाने निकल आये
मुमकिन है हमें ,गाँव भी पहचान ना सके
बहुत कम उम्र में ,हम कमाने निकल आये

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24 AUG 2022 AT 20:28

मैंने उसको जब- जब देखा, लोहा देखा
लोहा जैसे तपते देखा, गलते देखा, ढलते देखा
मैंने उसको गोली जैसे चलते देखा

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10 APR 2022 AT 14:29

बहुत कुछ लिखते हो तुम रोज,
हर दफा मुझे क्यूँ छोड़ देते हो

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8 APR 2022 AT 7:43

.....

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29 MAR 2022 AT 21:55

Apni marji se bhi do char kadam to chlne de jindgi
Teri marji se to barso chle hain hum

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25 JAN 2022 AT 14:38

चांद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर

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31 DEC 2021 AT 21:07

सब कुछ तो है
क्या ढूँढती रहती है निगाहें
क्या बात है
मैं वक़्त पे
घर क्यूँ नहीं जाता

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17 DEC 2021 AT 8:33

मोम से रिश्ते हैं गरमी से पिघल जायेंगे
धूप के शहर में सनम ये तमाशा ना करो

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