बदनाम तो बहुत हूं मैं ,इस ज़माने मेंतू बता,तेरे सुनने में कौनसा किस्सा आया है -
बदनाम तो बहुत हूं मैं ,इस ज़माने मेंतू बता,तेरे सुनने में कौनसा किस्सा आया है
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यूंही नहीं मान्यता बिंदी की,, स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती हैवो स्त्री है साहब...... स्वयं में ब्रह्माण्ड लिए चलती है -
यूंही नहीं मान्यता बिंदी की,, स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शांत करती हैवो स्त्री है साहब...... स्वयं में ब्रह्माण्ड लिए चलती है
अलमारी को खोला तो ,खत कुछ आज पुराने निकल आयेजाने मेरे चेहरे पर कैसे ,ये दाने निकल आयेमुमकिन है हमें ,गाँव भी पहचान ना सकेबहुत कम उम्र में ,हम कमाने निकल आये -
अलमारी को खोला तो ,खत कुछ आज पुराने निकल आयेजाने मेरे चेहरे पर कैसे ,ये दाने निकल आयेमुमकिन है हमें ,गाँव भी पहचान ना सकेबहुत कम उम्र में ,हम कमाने निकल आये
मैंने उसको जब- जब देखा, लोहा देखालोहा जैसे तपते देखा, गलते देखा, ढलते देखामैंने उसको गोली जैसे चलते देखा -
मैंने उसको जब- जब देखा, लोहा देखालोहा जैसे तपते देखा, गलते देखा, ढलते देखामैंने उसको गोली जैसे चलते देखा
बहुत कुछ लिखते हो तुम रोज, हर दफा मुझे क्यूँ छोड़ देते हो -
बहुत कुछ लिखते हो तुम रोज, हर दफा मुझे क्यूँ छोड़ देते हो
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Apni marji se bhi do char kadam to chlne de jindgiTeri marji se to barso chle hain hum -
Apni marji se bhi do char kadam to chlne de jindgiTeri marji se to barso chle hain hum
चांद लाकर कोई नहीं देगाअपने चेहरे से जगमगाया कर -
चांद लाकर कोई नहीं देगाअपने चेहरे से जगमगाया कर
सब कुछ तो हैक्या ढूँढती रहती है निगाहें क्या बात है मैं वक़्त पेघर क्यूँ नहीं जाता -
सब कुछ तो हैक्या ढूँढती रहती है निगाहें क्या बात है मैं वक़्त पेघर क्यूँ नहीं जाता
मोम से रिश्ते हैं गरमी से पिघल जायेंगेधूप के शहर में सनम ये तमाशा ना करो -
मोम से रिश्ते हैं गरमी से पिघल जायेंगेधूप के शहर में सनम ये तमाशा ना करो