Sandeep Vyas   (व्यास संदीप)
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Joined 30 December 2016


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Joined 30 December 2016
12 MAR AT 19:40

इल्तिज़ा ऐ तारीफ भी करते हैं वो, तो किस अदा से
के जैसे एहसान किया हो हम पर, खूबसूरत हो कर

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16 JUN 2023 AT 21:16

सतपुड़ा फाईल्स

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13 DEC 2022 AT 22:44

हम जैसे बेफिक्र जिस दिन हो जाओगे
तुम भी ज़माने में 'आवारा' कहलाओगे

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3 NOV 2022 AT 18:07

भीड़ तो मेरे इर्द गिर्द सब ने देखी
तन्हा दिल किसी को नजर न आया
मोहोब्बत की धूप ने झुलसा रखा है
मांगते हैं बस एक नरम सा साया

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27 OCT 2022 AT 22:10

लिखूं तो मीलों मोहब्बत लिख सकता हूं
कहूं तो एक लफ्ज़ भी कहा नहीं जाता

देखूं तो हद्द-ए-बीनाई तक तू है
सोचूं तो चेहरा तक याद नहीं आता

पढूं तो दुनिया का सुख़न फ़िजूल है
समझूं तो तुझे मैं समझ नहीं पाता

मिल जाए तू, ये ना मुझको कुबूल है
खोजाए तो एक पल जिया नहीं जाता

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24 OCT 2022 AT 9:09

एक सैलाब सा दुश्वारियों का, मेरी फ़िराक़ में है
एक हुजूम है यारों का, मुझे कुछ होने नहीं देता

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23 OCT 2022 AT 19:30

बस वही गलतियां वो हर बार करता जा रहा है
इश्क करता जा रहा है, इनकार करता जा रहा है

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15 OCT 2022 AT 11:41

ना भूले गये, और ना निभाए ही गये
वादे तो फ़कत वादे थे, आये ओ गये

मुद्दतों, तेरे ही तसव्वुर में रहे आंखें मींचे
हसीं, नज़रों से सैंकड़ों यूं आये ओ गाये

दस्तूर ए इश्क था के हम खामोश रहे
कितनी मर्तबा यूं तो हम उकसाये गए

इश्क दोनो की खाता थी शायद
बरहा, यूं हम ही क्यों सताए गए

सुहानी शब, बन कर के 'दुल्हन' रोई
अनगिनत ख़्वाब तेरे जूं आये ओ गये

एक अदद खुशनुमा जिंदगी की चाहत में
बे-मुरव्वत, बेवजह ही हम रुलाये गए

इस क़दर बेज़ार ऐ 'खुर्द' हम खुद से हुए
न दोबारा किसी महफिल में आये ओ गये

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7 OCT 2022 AT 10:56

शिद्दत से जलाकर पुतला-ए-ऐब-ओ-कबाहत
पलटा, मुस्कुराया, और मयकदे को चल पड़ा

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