Sandeep Mishra  
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Jarurat ki hisaab see bsss sabki jarurato ko pura karna h...
Joined 26 September 2019


Jarurat ki hisaab see bsss sabki jarurato ko pura karna h...
Joined 26 September 2019
2 MAY AT 11:00

Ye Jo nigaho par Chashma lagaye baithe Ho..
Hothon par Til ka pehredaar lagaye baithe Ho...
Tere Deed Ko Tarsi Hai Meri Nigaahe Jaane Kabse..
Hume Tum Jaane Kabse Sataye Baithe Ho..
Uthti Hai Dil me Hasrat Tumse Milne Ki,
Aur Yun Tum Humse Duri Banaye Baithe Ho...

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13 MAR AT 11:09

नज़्म लिखें या एहसास लिखें..

सोचते हैं आज तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखें,
कब के बिछड़े थे तुम ये तो हमें याद नहीं।।

पर सोचते हैं आज कि तुमसे मिल के,
कभी ना बिछड़ने की एक फ़रियाद लिखें।।

ख्वाहिशें कब उतरीं इन आंखों से ठीक-ठीक तो याद नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपनी आंखों के ख्वाबों का
सरताज लिखें।

नज़्मों में कितने अल्फाज़ ज़रूरी हैं ये तो हमें मालूम नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपने लिए ज़रूरी अपनी
सांस लिखें।।

तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखे।।।

#Sandeepkaishq❤️❤️❤️

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13 MAR AT 11:06

नज़्म लिखें या एहसास लिखें..

सोचते हैं आज तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखें,
कब के बिछड़े थे तुम ये तो हमें याद नहीं।।

पर सोचते हैं आज कि तुमसे मिल के,
कभी ना बिछड़ने की एक फ़रियाद लिखें।।

ख्वाहिशें कब उतरीं इन आंखों से ठीक-ठीक तो याद नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपनी आंखों के ख्वाबों का
सरताज लिखें।

नज़्मों में कितने अल्फाज़ ज़रूरी हैं ये तो हमें मालूम नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपने लिए ज़रूरी अपनी
सांस लिखें।।

तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखे।।।

#Sandeepkaishq❤️❤️❤️

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13 MAR AT 11:05

नज़्म लिखें या एहसास लिखें..

सोचते हैं आज तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखें,
कब के बिछड़े थे तुम ये तो हमें याद नहीं।।

पर सोचते हैं आज कि तुमसे मिल के,
कभी ना बिछड़ने की एक फ़रियाद लिखें।।

ख्वाहिशें कब उतरीं इन आंखों से ठीक-ठीक तो याद नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपनी आंखों के ख्वाबों का
सरताज लिखें।

नज़्मों में कितने अल्फाज़ ज़रूरी हैं ये तो हमें मालूम नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपने लिए ज़रूरी अपनी
सांस लिखें।।

तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखे।।।

#Sandeepkaishq❤️❤️❤️

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8 MAR AT 16:56

मैं अक्सर तन्हाई मे अकेले तुमसे बात करता हूं,
उसी एक पल का इंतजार, मैं रोज दिन-रात करता हूं।।

तू तो पढ़ती है रोजाना दूसरों के नाम की गजलें,
मैं पागल हर नज़्म की तुझसे ही शुरुआत करता हूं।।

मैं अक्सर तन्हाई मे अकेले तुमसे बात करता हूं,

हाल पूछता हूं तेरा अपना हाल बताता रहता हूं,
मैं अपनी मोहब्बत की बातें दीवारों को सुनाता रहता हूं।।

ये सुनती हैं बड़े गौर से मगर कोई सवाल नहीं करती,
ये दीवार बिलकुल तुम सी है मेरा ख्याल नहीं करती।।

मैं दीवाना बेवजह हवाले उसके जज़्बात करता हूं,
मैं अक्सर तन्हाई में अकेले तुमसे बात करता हूं।।

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16 DEC 2023 AT 8:22

कहां से लाऊ वो लफ़्ज, जो सिर्फ़ तुझे सुनाई दें।।।।

दुनिया देखे चांद को, और मुझे सिर्फ तू दिखाई दे।।

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3 DEC 2023 AT 19:37

वो नए जमाने की पुरानी सी लड़की..
है वो बुद्धू मगर सयानी सी लड़की..
वो खोई रहती हैं जाने किन ख्याल में दिन भर..
ना जाने किसके इश्क में हुई दीवानी सी लड़की..
वो नए जमाने की पुरानी सी लड़की..

उसकी आंखे गजलों जैसी मुझे शायर बनाती...
बला की खूबसूरत है जरा भी न इतराती....
खुद सी लगती है सबको मगर बेगानी सी लड़की...
वो नए जमाने की पुरानी सी लड़की….

में जो कहूँ उसको कब वो मान लेती हैं...
वो तो करती हैं वही जो भी ठान लेती हैं..
वो शांत समुंदर जैसी तूफानी सी लड़की..
वो नए जमाने की पुरानी सी लड़की....

उसे हर अदा आती हैं दिल लगाने की..
पुरानी सी क्यू है वो नए जमाने की लड़की..
वो जाहिर नही करती मगर कहानी तो होगी...
सबसे महंगी शय है वो मेरे याद खाने की वो...
है उसके इश्क़ में दीवाना संदीप.....
वो सीधी सपाट कहानी सी लड़की....

वो नए जमाने कि पुरानी सी लड़की....

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29 NOV 2023 AT 23:07

शब्दों के चयन अगर रच पाते तुम्हें,
तो अब तक मेरी पंक्तियों की परिक्रमा समाप्त हो जाती..।।।।

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18 NOV 2023 AT 23:20

मेरा कुछ भी लिखना..
दो पल तुमसे बात करना होता है..

अपने शब्दों में पुकारना..
तुम्हे याद करना होता है..

शब्द.. तब शब्द कहा रहते..
मेरे शब्दों मे सिर्फ तुम्हारा नाम रहता है..

मेरा कुछ भी लिखना..
सिर्फ तुम्हे लिखना होता है...।।।।।

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12 OCT 2023 AT 2:48

तेरे साथ रहकर कुछ अलग सा हो जाता हूं मैं..
तेरे कदमों के पीछे-पीछे,तेरे साथ-साथ चलता हूं....
ज़रा खुलकर हंस लेता हूं,
कुछ अपने दिल की भी कह लेता हूं..
कभी कभी थोड़ा डर जाता हूं,
पर तेरे कहने पर थोड़ी हिम्मत भी कर लेता हूं मैं...
तेरे साथ रहकर कुछ अलग सा हो जाता हूं मैं...
आंसू जो कभी सरक नहीं पाए आंखों से नीचे,
सच कहूं,तुझ संग जी भर रो भी लेता हूं ..
अपने बेतरतीब से बाल तेरे लिए ही तो बनाए मैंने
हर छोटी बात पर जो भवें तन जाती हैं मेरी..
तुझ संग इतने गुस्से हैं मिटाए मैंने
लड़खड़ाकर गिरने की जो आदत रही है मेरी..
पर तुझ संग थोड़ा संभल जाता हूं मैं
अपनी खामियां को समझकर..
तुझ संग थोड़ा-थोड़ा सुधर जाता हूं मैं..
तेरे साथ रहकर कुछ अलग सा हो जाता हूं मैं... ..

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