Sandeep Jangra   (दीप ✒)
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Joined 27 October 2017


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Joined 27 October 2017
1 MAY AT 1:28

कोई तो होगा जिसने तेरे लिए इबादत की होगी ,
कोई तो होगा जिसने इंतजार की घड़ी देखी होगी ,,
यूंही नहीं करता मेरा खुदा इंसाफ दीप –
कोई तो होगा जिसने तुझसे ज्यादा तुझे मोहब्बत की होगी।

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1 MAY AT 1:04

मई महीने में यूं रातों का सर्द होना ,,
दीप –जरूर वो याद करके मुस्कुराए हैं ,,
पूछना– बदलता है मौसम उनके यहां भी,,
हमने हर दिन उनकी यादों के संग बिताए हैं।

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1 MAY AT 0:39

एक उम्र–कैद से रिहाई चाहता हूं,,
खुद से खुद की बेवफाई चाहता हूं,,
सजा है तेरी यादों में तड़पने की दीप,,
न हो बदनाम– दूर से ही विदाई चाहता हूं।

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1 MAY AT 0:30

दीप — याद आता है के कुछ खो गया है ,,
क्या वो भी औरों जैसा हो गया है ,,
जाना भी कितना तूने उसे –जो सोचता है,,
क्या उसे भी ये ख्याल तेरी तरह कचोटता है ..

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20 APR AT 0:00

यादों के ताबूत को जंग लगे अरसा हो गया ,,,
किसी ने पुकारा नाम – मसला हो गया ,,

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19 APR AT 23:50

ठंडी हवाओं में खामोशी का शोर है ,,
दीप —ये कैसी मुलाकात है ,,
सिरहन सी दौड़ रही तन मन में ,
धड़कते दिल–अनसुलझे से जज़्बात है,,

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18 APR AT 12:33

जाने वाले के कदमों के निशा बाकी है ,,
जल गया आशियां —राख अभी बाकी है।।

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18 APR AT 12:28

गर पढ़ पाते वो मेरी आंखें ,,
अक्षर ही ढाई थे मेरी किताब के ।

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18 APR AT 0:43

दीप— लंबी है शिकवों की फेहरिस्त ,,
तेरा नाम इश्क से बेवफा लिखा है ।।

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17 APR AT 20:03

अंजाम ए इश्क सोचकर क्या रांझा मोहब्बत करता ,,,,
गर होती परवाह—पतंगा, लौ से इश्क क्यों करता ,,,

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