Sahil Singh   (Sahil Singh)
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गुमनाम इश्क़, ख्वाइशें हज़ार
एक को मनाऊँ, दूसरा रूठने को तैयार।।
:--साहिल
Joined 9 April 2018


गुमनाम इश्क़, ख्वाइशें हज़ार
एक को मनाऊँ, दूसरा रूठने को तैयार।।
:--साहिल
Joined 9 April 2018
9 HOURS AGO

तुम बिल्कुल भी न डरना
मंज़िल बेशक मिल जायेगी तुमको
बस शर्त ये है कि तुम डटे रहना।।

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6 MAY AT 22:31

मैं देखूं
तुझे एक टक मैं निहारूं
तू कैसे मिल गई है मुझे
इस बात का यकीन नहीं मुझे
उस पल से कैसे मैं खुद को
रूबरू कराऊँ।।

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6 MAY AT 10:26

बात बे बात पर वो लड़ने लगी है
लगता है वो मुझसे प्यार करने लगी है।।

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5 MAY AT 23:56

कसूर सिर्फ़ मेरा नहीं था
कुछ था दिल का भी
नज़रें मिली तो हम दिल हार बैठे
हमें कहां पता था कि तुम हो किसी और की।।

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5 MAY AT 23:49

कैसे नज़र मिलाऊंगा मैं खुद से।।

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5 MAY AT 8:50

मेरे हालात कुछ ठीक नहीं
मुझे तुम पनाह दोगी क्या
मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा
उम्र भर तुम साथ दोगी क्या।।

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4 MAY AT 22:34

हमें इसी बात का मलाल है
जो समय के साथ बदल गया
देखो वो आज कितना कामयाब है।।

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4 MAY AT 16:39

इसी उम्मीद पर दुनियां कायम है
और जब तक दुनियां कायम है
तब तक हम भी।।

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3 MAY AT 22:46

दिल में छिपे हो तुम
ख्यालों में रोज़ होती है
तुमसे मुलाकातें मेरी
क्योंकि मेरे जो हो तुम।।

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3 MAY AT 11:55

मैं कुछ ऐसा कर जाऊं
वो मुझसे मिलने आए
और मैं उसे देखते ही
उसका हो जाऊं।।

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