Sachin Rastogi   (सचिन रस्तोगी)
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अपनी नज़दीकियों से दूर ना कर मुझे
मेरे पास जीने की वजह बहुत कम है
Joined 13 March 2018


अपनी नज़दीकियों से दूर ना कर मुझे
मेरे पास जीने की वजह बहुत कम है
Joined 13 March 2018
26 JAN 2022 AT 11:53

अनेकता में एकता ही हमारी शान है,
इसलिए मेरा भारत महान है ।

गणतंत्र दिवस मुबारक हो🇮🇳🇮🇳

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12 JAN 2022 AT 21:08

कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।

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17 DEC 2021 AT 11:42

Sometimes, you must not only expect the way to be too clear;
strike when you can!

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2 DEC 2021 AT 21:49

जब वो अपने हांथो की लकीरों में
मेरा नाम ढूंढ कर थक गयीं.

सर झुकाकर बोलीं,"लकीरें झूठ बोलती है"
तुम सिर्फ मेरे हो..❣️🙃

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2 DEC 2021 AT 21:20

कोई तो होगा जो मुझे समझ पायेगा
नहीं दोहरायेगा गुजरा कल
मेरे आज में उसे अपना भविष्य नजर आयेगा..
❤☝💯

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29 NOV 2021 AT 17:01

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20 NOV 2021 AT 21:55

जब वो अपने हांथो की लकीरों में
मेरा नाम ढूंढ कर थक गयीं.

सर झुकाकर बोलीं,"लकीरें झूठ बोलती है
"तुम सिर्फ मेरे हो..❣️🙃

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19 NOV 2021 AT 21:46

Bachpan Ki Masti
(Read Caption Below 👇👇)

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18 NOV 2021 AT 7:46

वो बचपन का दौर जो बीता
जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा
कितनी प्यारी लगती थीं दादी और नानी
जो हमको सुनाती थीं किस्से और कहानी
छोटी सी खुशीयों में हँसना रो देना चोट जो लगी
घरवाले भी हमसे करते थे दिल्लगी
कहते मीठा फिर खिलाते जो तीखा
वो बचपन का दौर जो बीता
जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा
कभी बनना था डॉक्टर कभी बनना था शायर
पल हर पल बदलते थे सपने
कोई थे भैया, कोई थे चाचा
हर कोई जैसे हों अपने
छोटी सी मुश्किल में चेहरा होता जो फीका
वो बचपन का दौर जो बीता
जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा
पापा से डरना पर माँ से जो लड़ना
करके गुस्ताखी फिर उलझन में पड़ना
ना कोई गम था ना कोई डर था
बस खेल-खिलौनों का फिक़र था
बचपन का हर पल होता है अनूठा
वो बचपन का दौर जो बीता
जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा

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17 NOV 2021 AT 20:31

ढेर सारी तस्वीरें तो नहीं मेरे साथ पर,
मैंने हर ख्वाब में तुम्हें ही देखा है।

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