समझ क्यों नहीं पता कोई,
स्त्री के व्यक्तित्व को
किसी को प्रेमिका चाहिए।
किसी को संस्कारी पत्नी
तो ऐसा क्यों होता है
कोई मनपसंद रिश्ता चाहता है।
कोई देह की लालसा रखता है।
तन को सभी छेड़ता है
मन टटोलता नहीं कोई
तो ऐसा क्यों होता है
ख्वाबों की दुनिया दिखा कर
क्षण भर में सारे भरम तोड़ जाते हैं
शिखर पर ले जा कर
यूं झकझोरता है
बिख़र कर रह जाती हैं।
तो ऐसा क्यों होता है
-