Rudransh Sharma   (Rudransh)
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Joined 14 June 2021


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Joined 14 June 2021
30 JUL 2023 AT 19:18

यादों के सिलसिलो में

वरक पर अपने अल्फाजों पर को एहतीराम से रख कर
उसे अपनी दुआ में कुबूल किया है
नज़रे उल्फत का शिकार तो हुई
लेकिन दिल की सियासत ने उसे
मलिका-ए-जहाँ' से नवाज दिया है ।।

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11 JAN 2022 AT 20:17

रास्ते में देख कर यू घूम जाया करती है
क्या कभी
चांद से चांदनी भी रूठ जाया करती है।
उसको लगता है हमे
पता नही है
उसके माथे की शिकन
अब मेरी बिस्तर की सिलवट बता जाया करती है।।

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13 JAN 2022 AT 0:07

सर्द रातों की ठिठुरन
हमे जला कर चली गई
उसकी निगाहों की आहट
फिर जगा कर चली गई।।

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11 JAN 2022 AT 20:10

निकल तो गई वो छू कर हवाओ को
उसकी खुशबू आज भी वहा है
जिस कलम से अदाएं लिखता था
वो ना जाने अब कहा है।।

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24 NOV 2021 AT 18:11

यदि आप वही करते हैं, जो आप हमेशा से करते आए हैं!!
तो आपको वही मिलेगा जो आपको हमेशा से मिलता आया है।।

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20 OCT 2021 AT 20:15

तुम शीतलता की निशानी
मैं समर्पण का भाव प्रिय
मैं अज्ञातवास से आया हूं
तुम्हारा मेलों का ख्वाब प्रिय।।

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21 SEP 2021 AT 23:31

बिठाकर मैंने!!
अपने मन को पूछा
कब तक रूठे रहने का इरादा है....

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11 AUG 2021 AT 14:49

कहने को चर्चे बहुत है तुम्हारे
कभी हमें भी शामिल कर लिया करो
यूं ही बदनाम है नाम हमारा
कभी हमसे भी हाल पूछ लिया करो।।

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10 AUG 2021 AT 8:40

कहानी हर शख्स के पास होती है,
मुर्शद !!
बताने वाले रहम खा लेते है ।।

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9 AUG 2021 AT 13:50

बिखरते ताश के पत्ते हैं
जुए से मोहब्बत हो सकती है

मोहब्बत में जुआ खेला जाए
यह मुनासिफ नहीं...!!

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