जिंदगी के सफर में तुमसे मुलाकात हो गई,
खामोश सी जिंदगी थोड़ी हसीन हो गई,
जिस प्यार को मैं थी तरस रही शायद वह मुकम्मल हो गई
एक छोटी सी सफर में तुमसे मुलाकात जो हो गई!!
नहीं कहती मैं बहुत ज्यादा ख़ामोश ही रहती हूं,
पर अब तुमसे मिलकर जज्बात मेरे बदल गए,
जो दिल में दफन कर रखी थी अब वह जुबां पर आ गए,
खामोशी में भी अब बोलने लगी हूं दिल की बातें अब कहने लगी हूं,
ये बोरिंग सफर भी अब हसीन लगने लगा है,
एक सफर में तुमसे जो मुलाकात हो गया है!!
क्या जुगलबंदी है इस जिंदगी का,
अकेलापन का उसने मरहम भेज दिया है,
एक सफर ने मेरी जिंदगी को कुछ यूं बदल दिया है,
जाने क्यों पहली मुलाकात में एक अपनापन सा आ गया,
नहीं जानती थी तुम कौन हो फिर भी तुम्हारे पीछे मन का डोर चला गया,
चलो पहली मुलाकात को अब आखरी नहीं करते है,
चलो हम दोनों अब दोस्ती की शुरुआत करते हैं!!— % &
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