ऋषभ   (मतलबी)
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एक जिम्मेदार नागरिक जिसे हर काम अधूरा छोड़ने की शानदार आदत है।
Joined 29 August 2019


एक जिम्मेदार नागरिक जिसे हर काम अधूरा छोड़ने की शानदार आदत है।
Joined 29 August 2019
2 JUN 2021 AT 16:44

हर आसमां को अपने नूर की खातिर ज़मीन की जरूरत है,
हर इम्तेहां उसके वजूद की खातिर हासिल पर निर्भर है..।

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17 APR 2021 AT 14:16

हर दिन हँसे, हर पल जिये..
हर शाम खिले, हर सुबह उड़े ..
हर आज रहे, वो खूब जिये..
वो खूब बढ़े, सदराह चले..
आशीष बने दुनिया के लिए..
हमराही रहे बस मेरे लिए..
आज़ाद रहे, वो साथ रहे..
मेरा, मुझसे वो पास रहे..
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9 FEB 2021 AT 20:46

तेरी आबरू की खातिर ऐ मेरे रहबर
मैं तूफान से क्या, खुदा से भी लड़ जाऊँ।

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4 JAN 2021 AT 1:09

अपने खिलाफ बगावत में मैं खुद का भी इस्तेमाल कर लेता हूँ, बताओ ज़रा उस द्रोही को कि मुझे खुद से हारना भी पसंद नहीं !

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2 JAN 2021 AT 15:30

हमारा क्या, हम तो सब के शब लिखते हैं
अखरता है अगर तो चश्मा बदल कर देखें।

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3 DEC 2020 AT 21:17

आओ मीत आज एक आखिरी गुनाह साथ करते हैं,
सभी शिकवे भूल हमेशा के लिए अलविदा बोलते हैं!

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26 OCT 2020 AT 15:23

उपवन,भवन में बदल गए,
बन गई हैं नदियां अब नाला,
खो गए सुहाने पवन कहीं,
आया विकास घर बन तालाब..।।

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24 OCT 2020 AT 14:56

खता कर कभी खुद को नुमाइंदा बन कर देखने की,
असलियत क्या औकात समझ जाएगा तू काफ़िर !

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1 AUG 2020 AT 20:19


फख़त आँखे नम पड़ जाती हैं उन नाज़ुक लम्हों में
कि जब तेरे जुर्म को कागज़ में पिरोना होता है,
और जब मेहरबानी होती है मुझ पर मेरे ख़ुदा की तो
कमबख्त दिल बेहयाई से तेरे ख़ातिर दुआ करता है,
जब भी तेरा जिक्र हुआ है कभी भी मेरे महफ़िल में
तो मेरे दिल और दिमाग का मुकदमा चला है..!

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21 MAY 2020 AT 23:22

ख़ुदा ख़ुद की बनाई हर नायाब चीज़ का ख़्याल रखता है, लाज़िम है कि तुम्हारी खैर भी रखता होगा।
फिर भी न जाने क्यों तुम मेरे हर दुआ का हिस्सा होते हो ।

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