मुक़म्मल हो दुआएँ तेरी, तू हमेशा आबाद रहे
नूर बरसे खुदा का तुझ पर, मेरी दुआएँ तेरे साथ रहे
हर चीज हासिल हो तुझे, वक्त भी तेरा आगाज करे
मेरी ईद भी पूरी हो, गर सामने से तु भी सलाम करे।
बिंदिया सजाती है, कजरा लगती है मेरी छोटी सी मुस्कान पर
बचती है छुपती है नजरों से लोगों की, मिलने आती है मेरी एक बात पर
लड़ती है झगड़ती है बच्चों सी रहती है, करती है सवाल मेरे हर सवाल पर
नजर उतारती है मन्नतें माँगती है, झुकाती है सर अपना हर मन्दिर, मस्जिद, और मजार पर।
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