जो लिख गया वो ज़िन्दगी का किस्सा था,
जो दूसरों ने सुनाया वो झूठ का हिस्सा था!!
जो मिल न सका वो एक बुरा सा सपना था,
इस भीड़ भरी दुनिया में कोई तो अपना था!!
बचपन का हर लम्हा सुहाना सा लगता था,
दुनिया में कोई अपना दीवाना सा लगता था!!
शरीफ़ो की महफ़िल में हमारा ठिकाना था,
नक़ाबों के पीछे छुपा हर दुश्मन पुराना था!!
वक्त का कहर कुछ इस कदर छा रहा था,
आज इंसान इंसानियत भुलाता जा रहा था!!
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