पेड़ो के पत्तों पर चमकती ये सुनहरी धूप,
तेरे चेहरे के चमकते नूर जैसी लगती है।
पसीने में देह पर लगती ये ठंडी सी हवा,
दुख में तेरे मीठे बोल जैसी लगती है।
पंछियों का पंख फैला यूं खुशी से घूमना,
तुझे देख दिल में सुकून जैसा लगता है।
प्यास लगने पर पानी को पाने की आस,
जैसे तुझे देखने की चाह जैसी लगती है।
ये सुंदर महकते फूलों की खुशबू,
तेरे छुअन के एहसास जैसी लगती है।
पत्तों के खड़कने से होने वाली आवाज़,
गुस्से में की तेरी बात जैसी लगती है।
साहिल के गुस्से को डाटते किनारे,
तेरी की फिक्र की सौगात जैसे लगते हैं।
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