मेरा कहना है की अब हम चीजों को जमीनी स्तर से नहीं देखते समझते हैं. हम सब वही देखते हैं जो प्रायोजित होता है मसालेदार होता है या ग्लैमरस होता है. तो अगर मेरा पूछा जाये तो पहले आप बताओ की JNU क्या है?? आप देखेंगे सुनेंगे जानेंगे तो पायेंगे की ये वो है वो हम खुद आज से 5 साल पहले ही देख और समझ चुकें हैं. दूसरी बात कुंठा की है की लोग JNU में पहुंचने की काबिलियत नहीं रखते हैं तो JNU पर सवाल उठाते हैं तो ठीक है हम हैं कुंठित. जब JNU के बड़े बड़े शिक्षाविद पढ़ा रहें हैं बता रहें हैं 5000 हज़ार साल पहले के सिद्धांतो के बारे में और उनसे आज के लोग भी कुंठित हो रहें हैं तो हम तो सब भेद भाव वर्तमान में देख और भुगत रहें हैं तो क्यूँ न हो कुंठित. और लिस्ट की बात है तो हम पहले ही कह चुकें हैं की अगर JNU का IAS IPS और ब्यूरोक्रेट्स ही तैयार करना ध्येय है तो वो हमारा थर्ड class MU, PU, JP यूनिवर्सिटी भी अच्छे से कर रहा है. तो फिर बस JNU को ही एक्स्ट्रा फैसिलिटी क्यूँ?
-