वो इक मुस्कान देखे एक अरसा बीत गया,
वही मुस्कान जिसे देख रात चर्चा बीत गया।
वो हवाओं में तेरी महक का घुल जाना,
जैसे चांद आए और आफताब बीत गया।
लिबास से मेरे खुशबू नहीं जाती है तेरी,
वो लिबास धोए एक ज़माना बीत गया।
किस खुदा की इबादत करूँ मुझे बता,
वो कहता है हमारे साथ का वक्त बीत गया।
मैं क्यूं मानूं तू नहीं मेरे साथ अब जानाँ,
तेरी तस्वीर के सहारे हर मौसम बीत गया।
कुछ नहीं बीता है तो तेरी यादों का कारवाँ,
यहाँ तो हर इक दिन तेरे नाम पे बीत गया।
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