तू है तो तेरे साथ कभी कबार जिंदगी अच्छे से जी लेती हूं.
कितनी ब्यूटीफुल है लाइफ! कह देती हूं ...
तू है तो कभी कबार खुलकर हंस देती हूं,
वापस से पहले जैसी रिद्धि हो गई हूं, ऐसा अपने आप को समझा देती हूं...
तू है तो कभी कबार आंखों के आंसू गिरा देती हूं..
लगता है कोई अपना है जो मेरा गम बांट लेता है.
वरना तो अपने आप ही रोककर दिलासा दे देती हूं...
तू है तो ऐसा लगता है जैसे, चलो ! कोई तो है जो मुझे सुनता है वरना तो खामोश सी रह जाती हूं..
अब तुम ही बताओ तुम्हारे दूर जाने के बाद से कैसे अपने आंसुओं को रोक पाती?
आपके लिए तो शायद और भी कोई जीने की वजह होगी पर मेरे लिए तो तुम हो ना ?
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