गुजरते लम्हे भी कुछ कहेंगे ठहर के लेकिन तू कुछ ना कहना जो सच हो उसे स्वीकार कर लेना मुकर के लेकिन तू कुछ ना कहना उठाई जाएंगी उंगलियां भी सवाल तोड़ेंगे हद को अपनी जो सच हो उसे स्वीकार कर लेना मुकर के लेकिन तू कुछ ना कहना लगेंगे रिश्ते दाव पर जब उछाली जाएगी आबरू भी बिखर के लेकिन तू कुछ ना कहना तमाम ऐसे भी होंगे जो तोड़ देंगे तुम्हारी हिम्मत तो हौसलों से ही काम लेना "हां" डर के लेकिन तू कुछ ना कहना दिलाएगी याद वह गली कुछ सुनाई देगी वहीं सदाएं उमड़ उठेगा खामोश दरिया सिहर के लेकिन तू कुछ ना कहना