RICHA SHUKLA   (✍️••• Richa Shukla)
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Student
Joined 25 May 2020


Student
Joined 25 May 2020
3 JUL 2022 AT 22:46

ये समझदारी मुझे धीरे धीरे मार रही है।
मै नदानो वाली एक शाम चाहती हूं

तुम चाहते होंगे पहचान इस जहान में
मै तो मौत भी अपनी गुमनाम चाहती हूं।।

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18 JAN 2022 AT 10:17

बगीचे में मेरे
खिल रहे है फूल कई

कलियां मेरी ,अब तेरी
तारीफ की मोहताज नहीं।

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22 NOV 2021 AT 17:11

थोड़ी सी ओस ,रात और सब्र इकट्ठा कर लूं
एक चांद को मशहूर होना है,मेरे बगीचे में...

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1 NOV 2021 AT 19:59

मुझे परिभाषा नहीं आती ,
बाहरी रंगो की,
मेरी सादगी में तुम मुझे
बेरंग रहने दो।..✨🦋

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30 AUG 2021 AT 11:11

हे कान्हा ..
ये लकीरें, ये नसीब
ये किस्मत ,सब फरेब के आईने हैं..

तेरे साथ के एहसास से ही मुक्कमल
मेरी जिन्दगी के मायने है।...❣️

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26 AUG 2021 AT 8:42

शहर में एक ठिकाना ढूंढता है
वो जीने का बहाना ढूंढता है।

तुम जिसको फेक आते हो सड़क पर
कोई उसने "ख़ज़ाना" ढूंढता है।।

मै खुदको ढूंढने में खो गई हूं
और अब मुझको जमाना ढूंढता है।

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10 AUG 2021 AT 12:46

गुजरते लम्हे भी कुछ कहेंगे
ठहर के लेकिन तू कुछ ना कहना
जो सच हो उसे स्वीकार कर लेना
मुकर के लेकिन तू कुछ ना कहना
उठाई जाएंगी उंगलियां भी
सवाल तोड़ेंगे हद को अपनी
जो सच हो उसे स्वीकार कर लेना
मुकर के लेकिन तू कुछ ना कहना
लगेंगे रिश्ते दाव पर जब
उछाली जाएगी आबरू भी
बिखर के लेकिन तू कुछ ना कहना
तमाम ऐसे भी होंगे जो
तोड़ देंगे तुम्हारी हिम्मत
तो हौसलों से ही काम लेना
"हां" डर के लेकिन तू कुछ ना कहना
दिलाएगी याद वह गली
कुछ सुनाई देगी वहीं सदाएं
उमड़ उठेगा खामोश दरिया
सिहर के लेकिन तू कुछ ना कहना

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30 JUL 2021 AT 22:17

मौजूद लम्हे में खुश रहिए,,
यही लम्हा बस जिन्दगी है!!!

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30 JUL 2021 AT 17:51

''मै लब हूं..... मेरे बात हों तुम" ,

"मै तब हूं...जब मेरे साथ हो तुम"।

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13 JUN 2021 AT 16:10

कभी बेपनाह बरस पड़े
कभी गुम सी है
ये बरसात भी कुछ कुछ
तुम सी है।.....🌧️💧

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