बेशर्त मोहब्बत में
ये भी एक हसीन दास्तां है
चाहे तो उसे एकतरफा प्यार कहें
या पहली मोहब्बत का इश्क कह दे
ना कोई कसमें थी ना कोई वादा था
ना कोई बंधन था ना कोई रस्में थी
ना कोई सवाल था ना कोई जवाब था
ना कोई समझौता था ना कोई दबाव था
ना कोई मलाल था ना कोई बवाल था
बस जो भी था बस प्यार था
ना पाने कि खुशी ना खोने का दुःख
जो भी था बस इश्क था और वो भी बेहिसाब था
ना उसे कोई शर्त थी ना कोई दबाव था
जो भी था बस लाजबाव था
जैसे मां करती है अपने बच्चे से मोहब्बत वो भी बिना शर्तों के
कुछ इस तरह ही मेरा भी प्यार था
एक पुरानी सी दास्तां
धुल में ढंकी हुई एक पुरानी डायरी
जिसमें थी उस मोहब्बत का पहला
अहसास,वो तड़प,वो प्यास वो
अनकहा अल्फाज़ बस था तो बेशर्त सा प्यार.....
रेखा कुशवाह
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