Rekha Kushwah   (Rekha)
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Joined 1 October 2023


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6 HOURS AGO

मैं टूट कर कुछ इस तरह बिखरी
कि फिर जुड़ने की वजह ना मिली

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17 HOURS AGO

एक ख्याल आया फिर
दिल में सवाल आया
ना तू आया
ना तेरा कोई जवाब आया
मैं उलझी रही रात-भर
बस इसी सवाल में
क्या खता हुई हम से
जो इस तरह खफा हुआं
ना पास आया ना जुदा हो पाया...

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3 MAY AT 19:43

अंतर्मन कि उलझन

मन भी कितना मासूम है
हर विषय का चिंतन कितनी गहनता से करता है
जब भी किसी विषय को लेकर कुछ सोचता है
तो उसके हर पहलू को बड़ी बारीकी से अध्ययन करता है
जब सब तरफ से विचार कर के परिणाम निकल जाता है तब वह उस विषय में अपना निर्णय देता है लेकिन कभी कभी परिस्थिति ऐसी होती हैं कि उनका कोई हल ही नही सुझता वहीं " अंतर्मन कि उलझन " बन कर रह जाता है

आज बीच रास्ते में वो मिल गया
वो अनजान शख्स जो कल तक बहुत खास था
थी मोहब्बत या था कोई ख्वाब
जो भी था बहुत था पास
ना जाने कितने सपने संजोए थे उसके साथ
ना जाने कितने अनकहे वादें किए थे उसके साथ
लेकिन हालात से फिर हम हार गए
जो चाहा था उम्रभर का साथ वो छुट गया
सारे वादे भी बिन कहे ही टूट गए
जिस डोर से बंधे थे रिश्ते में वो भी टूट गई
जो कल तक रास्ते थे साथ वो भी हो गए अलग अलग
जिंदगी पर यूंही बढ़ती गई राही बदली मंजिल भी बदल गई
जिंदगी यूंही गुजरती गई मैं भी साथ उसके साथ बढ़ती गई
एक दिन अचानक उस से रास्ते में मुलाकात हुई
उसने बड़ी मासूमियत से पूछा की" कैसी हो "
"मैंने कहा अच्छी हूं" उसने कहां"मुझ से बिछड़कर "
बस यही सवाल आज भी अंतर्मन कि उलझन है कि सच में" मैं अच्छी हूं "
रेखा कुशवाह

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2 MAY AT 23:50

बातों ही बातों में एक बात हुई
एक शख्स पर आकर रुक गई
ना कोई रिश्ता था ना कोई नाता था
पर फिर भी वो बहुत अज़ीज़ था
ना उससे कोई शिकवा था
ना कोई शिकायत थी
जग जाहिर ना मोहब्बत थी
ना वो बेहद खूबसूरत था
बस उसकी अच्छी सीरत थी
ना वो गोरा था ना वो काला था
वो लड़का थोड़ा सांवला था
ना वो चन्ट था ना चालाक था
वो दिल का बड़ा साफ था
सादगी उसके चेहरे से झलकती थी
शायद इसीलिए मैं उस पर मरती थी
ना वो कभी मिला था ना कभी वो बिछड़ा था
जो था बस एक हसीन ख्वाब था
ना कभी पूरा हुआ ना कभी अधूरा रहा
जो भी था बस प्यार है........

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2 MAY AT 20:21

मुझे तुम से मोहब्बत कुछ इस तरह हुई
ना तेरी हुई ना तुझे भूला पाई

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2 MAY AT 20:15

बेशर्त मोहब्बत में

ये भी एक हसीन दास्तां है
चाहे तो उसे एकतरफा प्यार कहें
या पहली मोहब्बत का इश्क कह दे
ना कोई कसमें थी ना कोई वादा था
ना कोई बंधन था ना कोई रस्में थी
ना कोई सवाल था ना कोई जवाब था
ना कोई समझौता था ना कोई दबाव था
ना कोई मलाल था ना कोई बवाल था
बस जो भी था बस प्यार था
ना पाने कि खुशी ना खोने का दुःख
जो भी था बस इश्क था और वो भी बेहिसाब था
ना उसे कोई शर्त थी ना कोई दबाव था
जो भी था बस लाजबाव था
जैसे मां करती है अपने बच्चे से मोहब्बत वो भी बिना शर्तों के
कुछ इस तरह ही मेरा भी प्यार था
एक पुरानी सी दास्तां
धुल में ढंकी हुई एक पुरानी डायरी
जिसमें थी उस मोहब्बत का पहला
अहसास,वो तड़प,वो प्यास वो
अनकहा अल्फाज़ बस था तो बेशर्त सा प्यार.....

रेखा कुशवाह

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2 MAY AT 0:43

चलिए एक ख्वाब बुनते हैं
धीरे-धीरे ही सही चल कुछ दूर तक चलते है
ना मंजिल कि फ़िक्र ना रास्ते कि थकान
चल पकड़ते हैं हाथ एक दूसरे का कुछ कदम चलते है

चलिए एक ख्वाब बुनते हैं
ना कोई वादें ना कोई कसमें
बस साथ चलने का इरादा रखते हैं
चल पकड़ते हैं हाथ एक दूसरे का कुछ कदम चलते है

चलिए एक ख्वाब बुनते हैं
ना कोई समझौता ना कोई इल्ज़ाम
अपने अपने हिस्से का एक दूसरे से प्यार करते हैं
चल पकड़ते हैं हाथ एक दूसरे का कुछ कदम चलते है

चलिए एक ख्वाब बुनते हैं
ना कोई बन्धन ना कोई रस्में
बस एक दूसरे से प्यार निभाते हैं
चल पकड़ते हैं हाथ एक दूसरे का कुछ कदम चलते है

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1 MAY AT 21:01

मुस्कुराना सीख लो

एक गाना है
हंसते हंसते कट जाएं रस्तेजिंदगी यूंही चलती रहे.....
सच ही तो है आंख में आसूं आए
तो उसे अपने ही हाथों से पोछना पड़ता है
जिंदगी में रास्ते हो कठिन तो खुद ही चलना पड़ता है
एक शख्स ने बहुत सुंदर कहां था अगर आप एक दिन रोओगे तोकोई आकर चुप करा देगा लेकिन
यह सिलसिला अगर रोज का रहा
तो हर कोई आप से छुप कर निकल लेगा
और कहेगा इसका तो रोज का है
इस लिए चाहे कुछ भी हो बस मुस्कुरा
देना गम कम तो नहीं होगा लेकिन
उसे सहन करने कि हिम्मत जरूर आ जाएगी
जिंदगी से अक्सर लड़ती हूं
मैं मुस्कुराने का हुनर रखती हूं
रोज कुछ ना कुछ मेरे खिलाफ होता है
मैं हंसकर उसे गले लगा लेती हूं
आंखों में आसूं भी आ जाते है
मैं पोंछकर उन्हें फिर से मुस्कुरा देती हूं
मैं जिंदगी जीने का हुनर रखती हूं
मुझे मुस्कुराना आता इसलिए इस
डगर पर आसीन से चल लेती हूं

मैं खुद भी मुस्कुराती हूं और के चेहरे
पर मुस्कान ले आती हूं
मैं खुद भी उमंग से भरी रहती हूं
और में भी उमंग भर देती हूं
सच कहूं तो मेरे चेहरे पर उदासी
अच्छी नहीं लगती इस लिए मैं मुस्कुरा देती हूं.....

रेखा कुशवाह

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1 MAY AT 19:25

आज बहुत सुकून सा महसूस हुआ
जब उसने कहां आज फुर्सत से तुम से बात करेंगे

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1 MAY AT 12:00

मोहब्बत से सबको अपनी अपनी गिला है
किसी को बेवफाई मिली ,किसी को महबूब ही नहीं मिला है

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