बच्चों का जबरदस्ती का मामा और आशिकों के लिए मुसीबत कि चांद को खूबसूरत कहें यां सिरफिरे महबूब को।
😁😁
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-
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जिस दिन उससे अलग होंगे उस दिन
हम खुद के भीतर खुद को तलाशेंगे
क्यों कि जाने के बाद भी वो ही मिलेगा मेरे भीतर
मेरी रूह तो उसके पीछे-पीछे चुपचाप चलती चली जाएगी
इस आस में कि शायद वो एक बार मुझे मुड़ कर देखें
और उसके कदम वहीं थम जाएं, बस मेरे लिए ...!!
दिल के एहसास। रेखा खन्ना
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जिस्म बेबाक खुल रहे थे जबकि सजदे किए थे रूह को
रस्मो-रिवायतों की बात ना करो, किसने पाया आजतक रूह को?
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-
कुछ गुलों के नसीब में जुल्फें आई
कुछ गुलों के नसीब में कब्रें आई
गुलों का काम शाख पर खिलखिलाना था
वो कभी जुल्फ़ों के आगोश में शर्माये
तो कभी उन्होंने कब्रों पर आँसू बहाये।
क्यों गुलों को शाख पर जीने का हक नहीं है?-
आजकल लोगों का ज़मीर भी मुखौटा पहनता है
अपनी सहूलियत के लिए खुद को भी धोखा देता है।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-
नाकामियों के सबक ज्यादा थे
कड़वाहटों में सब्र के घूंट ज्यादा थे
जिंदगी ने वो सबक सिखाए
जो किताबों के पन्नों से गायब थे
हकीकत वो मुक्कमल शिक्षक थी
जिसने हर सबक, हमें बड़ी शिद्दत से सिखाए
जन्म से लेकर मरण तक
हम एक सफल विद्यार्थी ना बन सके
बने भी तो क्या?
एक कठपुतली
जिसे वक्त ने जैसे चाहा, नचाया
हम नाचते ही रहे।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना
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होनी अनहोनी की नींव बहुत पहले रखी जा चुकी है
बस सही वक्त आने पर हिलती है और
सब धाराशाई कर देती है यां फिर
कच्ची नींव और भी पक्की हो कर सब कुछ
अच्छा कर देती है।
वक्त की शय पर ही हर चीज अपना रूप लेती है
अचानक कुछ नहीं होता है।
वक्त अपनी कुंडली में किसी
को भी झांकने नहीं देता है।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-