Rehan Mirza   (Rehan Mirza)
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Joined 4 January 2023


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20 APR AT 21:25

नेक नीयत की तरह लगती हो
इक इबादत की तरह लगती हो

तुम को देखूँ तो प्यार आता है
तुम मुहब्बत की तरह लगती हो

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16 APR AT 8:55

लाख ज़ुल्म ढाए पर छोड़ तो नहीं सकते
ज़िंदगी हो कैसी भी ख़ुदकुशी से बेहतर है

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12 APR AT 15:32

हक़ीक़तन तो बहुत चुप सी बैठी रहती हो
मेरे ख़यालों में पर कितना बोलती हो तुम

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12 APR AT 15:13

लगाता है दिन रात जो फ़ोन मुझ को
दिल उस ने कहीं और लगाया हुआ है

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11 APR AT 10:56

Aap sabhi Ko Tah e dil se Mubarakbad ❤️🤗

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8 APR AT 21:45

हमारा इश्क़ मंज़िल पा रहा है
हर इक रस्ता तुम्हीं तक जा रहा है

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4 APR AT 20:03

तुम्हारे लिए कितना है प्यार पढ़ना
मेरी ग़ज़लों के तुम जो अशआर पढ़ना

मुहब्बत, मुहब्बत , मुहब्बत , मुहब्बत
हर इक बार पढ़ना लगातार पढ़ना

दिमाग़ों को सब के तू पढ़ता है लेकिन
कभी तो मेरे दिल को भी यार पढ़ना

मैं पढ़ता हूँ उठते ही रुख़्सार उन के
नहीं मेरी आदत में अख़बार पढ़ना

बहुत सी नई ग़ज़लें तुम को मिलेंगी
उन आँखों को तुम ने बस इक बार पढ़ना

हर इक लफ़्ज़ में जो उगलता है नफ़रत
वो अशआर लिक्खे तो हथियार पढ़ना

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3 APR AT 1:29

ख़िज़ाँ की रुत में बहारों सी ताज़गी ले कर
अँधेरे दिल की तरफ़ अपनी रौशनी ले कर
हमारे आख़री लम्हों में, मौत से पहले
ऐ इश्क़ तू ने चले आना ज़िंदगी ले कर

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31 MAR AT 2:56

मुफ़्लिस का कोई रुत्बा-ओ-मंसब नहीं मियाँ
मैं उसके दिल में पहले था पर अब नहीं मियाँ

ये जो उदासियों में भी हम मुस्कराते हैं
ये ज़र्फ़ है हमारा ये कर्तब नहीं मियाँ

अब इन लबों पे होती है सिगरिट घड़ी घड़ी
अब इन लबों पे आपके वो लब नहीं मियाँ

मैं कर चुका अँधेरों से मसले अकेला हल
तुम चाँद हो पर अब यहाँ पे शब नहीं मियाँ

मतलब बिना ही छोड़ के गर जा रहे हो तुम
फिर तुम को तो मनाने से मतलब नहीं मियाँ

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28 MAR AT 19:14


दिल दीवानों का जब भी जलता है
कारख़ाना-ए-इश्क़ चलता है

पहने रहता है तेरी यादों को
दिल ये कपड़े नहीं बदलता है

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