पहचान हुई जबसे हमे चेहरो के नकाब की
ख्वाहिशें सारी मर गई किसी के साथ की
कदम कदम पर हमेशा धोखे ही मिले
होती नहीं कदर यहाँ किसी के जज्बात की
अब नहीं करते हम किसी से गुजारिशे
किस को है सुध यहाँ मेरे हालात की
अच्छी लगने लगी हमे सोहबते तन्हाई की
जब अकेलेपन मे हमने खुद से मुलाकात की
शोर नहीं यहाँ कोई बस सुकून है
खामोशी ने कितनी मेरी मुश्किलें आसान की
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