Ravi prakash Mishra   (माटी)
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Joined 26 May 2018


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Joined 26 May 2018
28 APR AT 19:53

हाँ मैं मुग्ध हूँ तुम पे तुम्हारी खूबसूरती पे
तुम्हारे रक्तिम अधर सुनहलापन लिये बदन पे

तुम्हारी आँखे तुम्हारे अंग तुम खूबसूरत हो
विधाता की लिखी सुंदर सजीव कविता हो

मैं इस पर मुग्ध नहीं हूँ इसमें तुम्हारा क्या
ये तो तुम हो विधि ने उपकार किया उपहार दिया

मैं मुग्ध हूँ जो तुमने अर्जित किया
जीवन संघर्षो में द्वन्दों में तप कर

स्वयं को सोने में मढ़ा सुसज्ज किया
स्वयं को प्रकृति में बदल लिया

जो तुमने रूप लिया स्वयं को अनुपम किया
स्वयं का प्रेम से श्रृंगार किया

शेष caption में 👇

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28 APR AT 16:06

तुझ में ढूढ़ लूँ मैं अपनी हर ख़ुशी
किस्मत तू मेरी आ तुझको चूम लूँ

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28 APR AT 13:21

सुनो पवन तुम मिल के आना
उनसे जो मेरे हो न सकेगे

उनसे कहना तुम खुश रहना
यही दुआ हम करते है

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28 APR AT 13:14

सारे जगत को प्रेम से भर दे नाम वो राधा माधव है
प्रेम धरा पर अवतरित हुवा था नाम वो राधा माधव था

प्रेम की अमर परिभाषा है नाम वो राधा माधव है
सकल विश्व में प्रेम भरे जो नाम वो राधा माधव है

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27 APR AT 23:33

जब परिवारवाद को लोकतंत्र मान लिया जायेगा
तब कट्टर ईमानदार जेल से ही सरकार चलायेगा

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27 APR AT 11:16

तुमसे तो तेरी यादे भली है
उनकी वफ़ा में न कोई कमी है..

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27 APR AT 8:45

जानता हूँ मैं या मेरा ख़ुदा
दूर होकर भी तू जुदा न हुवा..

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27 APR AT 7:37

जब.."कृष्ण"..रंग मन रंग जाता है
आद्र हृदय मेरा हो जाता है,,

प्रेमाश्रु में डूब के जीवन
निर्मल श्यामल हो जाता है..!!

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26 APR AT 10:01

तेरी याद का अजब ये असर है
हृदय द्रवित फिर भी मुस्कुराये

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26 APR AT 8:29

मैं कृष्ण कृष्ण ही गाता हूँ
सबको यही सुनाता हूँ
जो परमानंद मिला मुझको
जी भर जग में लुटाता हूँ

वो मोहक मोहन छलिया है
अलमस्त बड़ा रंगीला है
जो उसके सम्मुख जाता है
उसके जैसा हो जाता है

वो लेता नही बस देता है
फिर यदि देना तो देना
दो मुठ्ठी तंदुल लेकर वो
तीनों जग वो दे देता है

मैं कृष्ण कृष्ण ही गाता हूँ
मृदु मंद मंद मुस्काता हूँ
कभी गीता कभी मुरली की धुन
सुन धन्य-धन्य हो जाता हूँ

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