RAJPOOT SHIVENDRA   (शिवेन्द्र प्रताप सिंह)
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Joined 29 January 2019


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28 APR AT 22:28

ये आँखों ही आँखों में हो रहे इशारे ही तो
बातें दिलों की दिल तक पहुँचाते हैं,
अक्सर शब्दों से भी जो बातें न हो पाएं उसे
बहुते आसानी से इशारे समझाते हैं,
हास्य, ग़म, ख़ुशी, प्रेम सबके अलग ढंग
हर एक भाव ये गज़ब दर्शाते हैं,
चाहे भीड़ - भाड़ हो या जनता हजार हो
ये बहुते ख़ामोशी से हर बात बोल जाते हैं...

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28 APR AT 22:20

ये आँखों ही आँखों में हो रहे इशारे ही तो
बातें दिलों की दिल तक पहुँचाते हैं,
अक्सर शब्दों से भी जो बातें न हो पाएं उसे
बहुते आसानी से इशारे समझाते हैं,
हास्य, ग़म, ख़ुशी, प्रेम सबके अलग ढंग
हर एक भाव ये गज़ब दर्शाते हैं,
चाहे भीड़ - भाड़ हो या जनता हजार हो
ये बहुते ख़ामोशी से हर बात बोल जाते हैं...

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28 APR AT 22:11

ये आँखों ही आँखों में हो रहे इशारे ही तो
बातें दिलों की दिल तक पहुँचाते हैं,
अक्सर शब्दों से भी जो बातें न हो पाएं उसे
बहुते आसानी से इशारे समझाते हैं,
हास्य, ग़म, ख़ुशी, प्रेम सबके अलग ढंग
हर एक भाव ये गज़ब दर्शाते हैं,
चाहे भीड़ - भाड़ हो या जनता हजार हो
ये बहुते ख़ामोशी से हर बात बोल जाते हैं...

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28 APR AT 22:10

ये आँखों ही आँखों में हो रहे इशारे ही तो
बातें दिलों की दिल तक पहुँचाते हैं,
अक्सर शब्दों से भी जो बातें न हो पाएं उसे
बहुते आसानी से इशारे समझाते हैं,
हास्य, ग़म, ख़ुशी, प्रेम सबके अलग ढंग
हर एक भाव ये गज़ब दर्शाते हैं,
चाहे भीड़ - भाड़ हो या जनता हजार हो
ये बहुते ख़ामोशी से हर बात बोल जाते हैं...

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17 APR AT 21:44

तुम बिन जाएँ कहाँ ये बता दो ग़र हो कोई रास्ता तो दिखा दो,

ना सोचा है तेरे सिवा हमनें कुछ भी और ना ही हमनें है देखा किसी को ।

अगर कुछ हो मन में तो कह दो न हमसे मुनासिब नहीं है सज़ा देना ख़ुद को,

तुम सोचती हो ना समझेगा 'चन्दन' मग़र हम बख़ूबी समझते हैं तुमको ...

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14 APR AT 0:49

चाँद से बातें होती थीं जब, पास हमारे रहती थीं वो
प्यार भरी बातें होती थीं, कितने ही प्यारे दिन थे वो।
एक - दूजे के हर भाव और एहसास समझते थे दोनों
आज़ भी करते प्यार बहुत ही एक दूजे से हम दोनों...

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8 MAR AT 22:14

यादों के बाग़ीचे में है जो याद आपकी,
चाहे आज़ की हो बात या बीते साल की।
हमें आज़ भी है याद वो हर बात आपकी,
हैं यदि इंतज़ार तो बस इक मुलाकात की...

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25 FEB AT 22:01

दिल की गलियों में उनका यूं आना हुआ
ये "चन्दन" भी उनका दिवाना हुआ
वो हमें प्रेम इतना किए इस तरह
जैसे परवाना कोई शमाँ से किया
प्रेम था जितना उतनी लड़ाई भी थी
जैसे मानो की वो मेरी परछाईं थी
जब भी वो रूठती मैं मनाता रहा
अपनी बाँहों में उसको सुलाता रहा
है मेरा प्यार वो, है प्रियतमा मेरी
मैं सदा से था उसका, उसी का रहा...

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17 FEB AT 23:19

देखा जो ख़्वाब हक़ीक़त में बदल जाएगा
मुझको प्यार तुम्हारा ये जब मिल जाएगा ।
जो भी शिकवे गिले हैं हम उसे सुलझा लेंगे
हमें भी साथ तुम्हारा ये जब मिल जाएगा...

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12 FEB AT 0:03

कुछ सोच के रह जाते हैं हम, कुछ उनसे कहें या चुप ही रहें
दिल ने तो कहा अब बोल भी दो, पर लब ये मेरे ख़ामोश रहें
लेकिन! कहना था हमें जो भी उनसे, सब नयन हमारे बोल गये
हर बात हुई इन आँखों से, "हम और वो" बस ख़ामोश रहे...

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