**एक सलाम कलाम के नाम**
चेहरे पर एक गज़ब का रुबाब लिए आँखों मे एक कामयाब भारत का ख्वाब लिए वो जीता रहा बस देश के लिए l न सत्ता की चाहता थी न कुर्सी का लालच था l था तो बस कुछ देश की लिए करने का जज्बा और एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करना l न मज़हब का गुलाम था, न गफलत मे लेटा था वो शख़्स तो बस भारत माँ का बेटा था l था नेक बाँदा वो इस्लाम का पर कभी न ऐंठा करता था, जात और मज़हब को परे रख संत के चरणों मे भी बैठा करता था l एक हाथ मे गीता तो दूजे में क़ुरान रखा, फक्र की बात है इन दोनों से ऊपर उसने हिन्दुस्तान रखा l आँखों में गज़ब का तेज़ और बालों को दोनों तरफ लटकाए हुए, मानों जैसे भारत माँ के लिए बाँहें फैलाए हुए l नहीं उलझा वो कुर्सियों की राजनीति में अपनी कीमत वो भांप गया, कलम से की शुरुआत और अंतरिक्ष को नाप गया l पाकर ऐसे राष्ट्रपति को देश का सीना भी तन गया, दिलों पे राज़ करते करते वो प्रेरणा का श्रोत बन गया l देश के एक महान शख्सियत को मेरा सलाम, ताउम्र हमारे दिल में रहेंगे आप आदरणीय कलाम l एक अद्भुत शख्सियत को शत शत नमन
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