एक चाँद मेरा भी था कभी
उसकी रोशनी भी हमारा था
फैलाता था मेरे लिए चांदनी सदा
ऐसा करना उसको भी ग्वारा था
हम रहते थे हर पल खुशी-खुशी
मस्त थे हम अपनी ही धुन में
अब कोई बात नही वैसी, जो थी
उसकी पाजेब की रून -झुन में
टूट के बिखर गया बस एक पल में
सपने जो सजाये थे जीवन भर के लिए
चुन लिया हमसफर उसने किसी गैर को
जख्म दे गया सिने में उम्र भर के लिए
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