इतना सितम ढाह रहे हो,
मैं मर गया तब आकर बचा रहे हो,
मैं दौड़ दौड़ कर आया तुम्हारे दरवाज़े पर,
और तुम मुझे नहीं हो घर पे कहलवा रहे हो,
जब मैं बेचैन, डरा, सहमा लड़ रहा था अंधेरो से,
तब तुम नहीं आए, ना गले से लगाया
अब मेरे निर्जीव शरीर को गले से लगा रहे हो,
क्यों इतना सितम ढाह रहे हो?
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