उद्यम के रथ में होता जैसे संशय का स्थान नहीं, विनयशील सबल मन में होता जैसे अभिमान नहीं। प्रेम योग में जिस भांति निश्चितता का अनुमान नहीं, देह आवृत होते हैं किन्तु अन्तस् का परिधान नहीं।।— % &
यदि कोई याद आए तो याद भी आने मत देना, अब फ़िर से कोई तुम्हें चाहे तो उसे जाने मत देना.. अपने गुजारे वक्त का सन्दूक में रहना ही सही है, वो वक़्त बीत गया, अतीत! अतीत दौहराने मत देना..
अपनी आंखों के अन्दर क्या सैलाब सम्हाले बैठे हैं, यूँ ही दुनिया कि खातिर अपना हाल सम्हाले बैठे हैं. एहसास नहीं है हम ही को, क्या दर्द सम्हाले बैठे हैं, अपने कोमल मन में हम, कितने शूल सम्हाले बैठे हैं.
मैं लिखता तो हूँ, मोती नहीं आते आंख से, क्या मैं अब शुन्य हो गया हूँ, उस बात से. मैं सोचता तो था, जी ही लेंगे हर हाल में, मौत भी कहाँ हाथ पकडती है, विपरीत काल में..
तकलीफें आभूषण हैं अनुभव के, शोभित नहीं देख इन्हें घबरा देना. आये कोई मुसीबत तो एक कतरा अश्क गिरा देना, जीवन के हैं उपहार यही, रोना या कि मुस्कुरा देना..