राम भाई   (Ram bhai)
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उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना

♥️ मध्यप्रदेश ♥️
Joined 21 June 2020


उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना

♥️ मध्यप्रदेश ♥️
Joined 21 June 2020
10 JAN AT 8:23

मुझे बक़ाई सर्दियां पसंद है लेकिन देखो तो ये सर्द सुबहे अब जाने को तैयार है ,
हल्की धुंध कोहरे के रूप में इनके सामने छाई हुई है..!!
इन सर्द सुबहों को भी कुछ समझ नही आ रहा है कुछ दिखाई नही दे रहा है ,
वो सिर्फ रो रही है , बरस रहे है उनके आंसू ओस और बारिश बन कर..!!
एक लंबा इंतजार करना पड़ेगा इन्हें दुबारा महसूस करने के लिये ,
बसंत ग्रीष्म बर्षा ऋतुओं से होकर गुजरना पड़ेगा इन्हें पाने के लिये ,
हो सकता है बीच मे रुक जाए सांसे , न मिले अगली सर्द सुबहों की चाय....!
लेकिन तुम मुझे बहुत पसंद हो शरद ऋतु मै तुम्हारा ऋणी रहूंगा ,
तुम्हारे लिए एक आखरी खत तो लिखना था , लिखना था कैसे तुमसे होकर बसन्त आता है ,
कैसे फूल तुमसे होकर खिलते है , कैसे प्रेमियो में प्रेम पनपता है तुमसे , और कैसे विरह की
अग्नि भी तुमसे ही जलती है , शायद कुछ जल्दी अलविदा कह रहा हूँ तुमको शरद ऋतु ,
पर तुम मुझे प्रिय हो , अब जाओ और अंतिम बार हो जाओ ऐसे सर्द की चाय पीते पीते
मेरी आँखों से भी गिरने लगे आंसू और विरह अग्नि में तपते तपते मै भी मुक्त हो जाऊं इन ऋतुओं
के चक्र से...!!

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21 DEC 2023 AT 19:20

तुम्हे भूलना तो महज एक दिन का काम है , कुछ समय में ही जला दी जाएगी मेरे मन से तुम्हारी सारी स्मृतियां , लेकिन में भूलना नही चाहता तुम्हे याद रखना चाहता हूं , ताकि जब भी मुझे नया प्रेम हो तो में सम्भल जाऊं , और नफरत हो मुझे प्रेम से , घिन आये प्रेम के बजूद से , तुम तो सारी अपवित्रता हो , सारी नकारात्मकता हो , सारा छल तुम हो , कपट तुम हो , झूठी कसमो और वादों की कोई देवी हो , तुम तो धोखे की वो मूरत हो जो हर कवि की कविताओं में दर्द बनती हो , तुम्हे कैसे भुला दूँ , तुम याद रहोगे तो बढ़िया रहेगा , तुम्हे भूलना तो महज एक दिन का काम है , लेकिन याद रहोगे तो अच्छा रहेगा , 🍂❣️

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18 DEC 2023 AT 9:25

शायद प्रेम है किसी असफल असहाय व्यक्ति को सफल व्यक्ति द्वारा अपनाना , शायद प्रेम है लाचारी , बेबसी , को सामर्थ्य और शक्ति द्वारा अपनाना, प्रेम तो कभी सफल नेतृत्व की चाह में ही नही रहा वो तो आतुर रहा खोजने वो आंसू जो उसके कंधे पर आकर स्वतः ठहर जाए , जो लोग हताश हो गए दुनिया से , निराश हो गए सफलताओं की दौड़ में उनने फिर क्यूँ चुनी कन्दराएँ , अडिग तपस्याएँ , कुछ तो रहा होगा , शायद प्रेम अपनी प्रथम सीढ़ी से ही भटक गया , प्रेम शायद लोभ , लालच , देहवासना की चाह में भूल गया वसंत होना , सावन की रिमझिम फुहारे होना या ठंड का अलाव होना या फिर गर्म लहरों का कोई पेय जल होना , प्रेम अब भी भटक रहा है निस्वार्थ टपकते आंसुओ की चाह में , उस गोद और कंधे की छांव की तलाश में जिसपर सिर रखने से दूर हो जाती है क्षितिज और अनन्त ब्रह्मण्ड की दूरियां , 🍂💕

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4 NOV 2023 AT 19:45

बहुत कुछ बचा है जीवन में,

अभी तक मैंने ताजमहल नहीं देखा,
उस नए कवि की किताब नहीं पढ़ी,
पहाड़ों की ओर नहीं गया
समुन्दर को देख उसे आसमान से नहीं तौला,
हवाई जहाज से नीचे नहीं झांका
बादलों को खा कर उनका स्वाद नहीं जाना

और
किसी से कह नही पाया कि
तुमसे प्रेम है

खैर,
उसे बतला देने के बाद
क्या कुछ ही बच जाएगा जीवन मे करने को...!!

अज्ञात
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21 SEP 2023 AT 22:35

एक सांझ की वेला मे खिल जाऊंगा , मध्यरात्रि में महक जाऊंगा और भोर की वेला में टूट कर बिखर जाऊंगा , एक दिन जब मै परिजात हो जाऊंगा ,
मेरी उन कोमल टूटी पंखुड़ियों के स्पर्श में खोजना तुम अन्नत प्रेम और पा लेना मोक्ष , मत करना कई जन्मों का इंतजार , मत ठुकराना मोक्ष , मै बस ऐसे ही हर जन्म में पारिजात बनकर दूँगा उन प्रेमी प्रेमिकाओं को मुक्ति ,
जो रात्रि वेला में आंसुओं की नदी बना कर डुबाना चाहते है यादों की वो मजबूत नाव....!!
❣️🍂

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6 SEP 2023 AT 19:46

इश्क ही इश्क हूं वहशत है घराना मेरा
इक जमाने से सहरा मे हैं ठिकाना मेरा
लडकिया थी कि मेरे नाम पे लड़ पड़ती थी ,
तुमने देखा नहीं कालेज का जमाना मेरा ।।
🍂❣️🍂

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20 JUL 2023 AT 20:24

छोटे कपड़ो पर कोसने बालो ने कुछ स्त्रियों को वस्त्रहीन कर सड़को पर घुमा दिया...!
मजे लीजिये वीडियो देखिए टीआरपी बटोरिए
क्या हुआ है आज तक,अब भी कुछ होना है क्या?
अब कुछ शेष बचा है क्या मनुष्यता में...?
कुछ शोभनीय रहा है क्या प्रकृति में...?

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21 FEB 2023 AT 21:25

जैसे ऋतुयें बदलती है बैसे ही जीवन बदलता है
कभी नदियां उफान पर बहती है कभी शीतल ,
कभी धूल आसमान में उड़ती है कभी रास्तो में दवी रहती है ,
कभी पेड़ पुष्प और फलों से लदे रहते है कभी सूखकर सारे पत्ते गिर जाते है ,
जीवन में भी ऐसी परिस्थितियां आती है इन परिस्थितियों में खुद को हिम्मत देनी चाहिये , लड़ना चाहिये ,
एक दिन सब ठीक हो जाएगा समय बदलेगा ,
हवाओं में सुकूँ फैलेगा.....!!
❤️❤️❤️

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31 DEC 2022 AT 7:39

मन करता है एक रोज आऊं तुम्हारे पास..!
बिखर कर रोऊं , मेरी आँखों से अविरल अश्रुधाराएं बहती रहे ,
तुम मुझे गले लगाओ फिर अपनी गोद का सिरहाना दो , तुम्हारे हल्के हाथों की थपकियाँ मेरे माथे को सुकूँ दे , मेरे मन को एक बेफिक्र गहरी नींद आएं और फिर मुक्त हो जाऊं मैं इन जनवरी दिसम्बर के फेरो से....!
❤️❤️❤️

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20 SEP 2022 AT 21:02

काश की रोक लेते बक्त....,
तेरे बगैर बाली ये पगडंडियां पसंद नही है मुझे...!
🍁🍁🍁

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