तुम्हे भूलना तो महज एक दिन का काम है , कुछ समय में ही जला दी जाएगी मेरे मन से तुम्हारी सारी स्मृतियां , लेकिन में भूलना नही चाहता तुम्हे याद रखना चाहता हूं , ताकि जब भी मुझे नया प्रेम हो तो में सम्भल जाऊं , और नफरत हो मुझे प्रेम से , घिन आये प्रेम के बजूद से , तुम तो सारी अपवित्रता हो , सारी नकारात्मकता हो , सारा छल तुम हो , कपट तुम हो , झूठी कसमो और वादों की कोई देवी हो , तुम तो धोखे की वो मूरत हो जो हर कवि की कविताओं में दर्द बनती हो , तुम्हे कैसे भुला दूँ , तुम याद रहोगे तो बढ़िया रहेगा , तुम्हे भूलना तो महज एक दिन का काम है , लेकिन याद रहोगे तो अच्छा रहेगा , 🍂❣️
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