🅿️R🅰️DEE🅿️ J🅰️🅰️T   (प्रदीप Jaat)
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Joined 2 February 2019


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दिन बे दिन बढ़ता ये फासला
अब जाकर मेरे पास आया है,
मायूस बैठकर थक चुका था
अब लिखने का फिर आस आया है

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प्रदीप Jaat

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तुम कॉफी की दीवानी
में चाय का शौकीन प्रिय ।।
में सीधा साधा देशी बालक
तुम हो बहुत चालक प्रिय ।।
शुरू ते आछी लागे तू ही खास मेरे
मेरे जिसे की रोज नई मुलाकात तेरे ।।
यू ही ना सक करता में तेरे पे
मैने देखे आज कल बदलते खयाल तेरे ।।

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लिखने बैठो तो,तुम
पूरी किताब लिख देते हो
यार प्यार के चक्कर मे
क्यों खुद को बर्बाद कर लेते हो ।।

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फैसला नही हुआ
वज़ह....
तुम Ego में थे
हम Zidd पर अड़े थे

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सुबह सन्देश लाई है
एक नई उमंग आयी है
सो कर उठे है हम अभी,
कुछ करने का जज्बा लाई है ।।

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जीने की दुआ दे वो हमें
दो दिन से बुखार है हमें,
तुम single ना रहे जाओ
यही चिंता रहती है हमें ।।

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जब सच सामने आया मेर,
तब देखा single होने का ये सबूत सामने आया मेरे ।।

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फैसला नही होता रिश्ते में
फासले बन जाते है मिंटो में,
👍👍

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खाली जेब ने मुझे जब भी उदास किया
पास में पड़ी किताब को मैने और पास किया

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