चल फिर शुरू से शुरुआत करेंगें, लड़ना ही है लड़ने से थोड़े डरेंगे,................................................................................. है नहीं आज हौंसला पर खुदसे बात करेंगे...✍
लिखता हूं तेरे लिए पर तू पढ़ ना ले ये डर रहता है, साथ नहीं है तू लेकिन ख्यालों में हर पहर रहता है। खुश है तू उदास तो नहीं? कौन है वो कोई खास तो नहीं? इन ही सवालों में उलझा ये पथिक तुझसे दूर पर तेरे पास रहता है।।
कल जब समा बंधेगा तो करेंगे बातें, कुछ तेरे आज की कुछ मेरे आज की। कभी थी जो दर्मियां तेरे-मेरे, क्या होती है वो अब भी बातें प्यार की।। कल जब समा बंधेगा तो करेंगे बातें...✍️
तेरी आंखों में है जो, अल्फ़ाज़ों में वो बताती क्यूं नहीं, बातें है जो दिल में तेरे, वो दिल को मेरे समझाती क्यूं नहीं, तू नजरों से है कहती जो आजकल, कहानी वो जुबां पे लाती क्यूं नहीं।
अब जब तेरा मेरा वास्ता नहीं, तेरे घर जाता मेरा रास्ता नहीं। तो मेरे सामने है रहता मायूस क्यूं जब खुश है तू दुनिया बनाकर नई? ऐसे सवाल तो है कही... पर मैं क्यों पूछूं की तेरे बदलते चेहरों का राज़ क्या है? तेरा कल तो मैं था, तेरा आज क्या है? मैं क्यों पूछूं...