नाच उठी धरती झूम उठा गगन
चली जब आज ठंडी ठंडी पवन
संग बारिश भी बरस रही है
दीद को आंख तरस रही है
दर्पण में तस्वीर दरस रही है
जब घटा इश्क़ परस रही है
याद तेरी ही तो आयी सजन
चली जब आज ठंडी ठंडी पवन
मन मेरा क्या ये बोल रहा है
दिल अपना क्यूं डोल रहा है
आँखों से राज़ खोल रहा है
ख्वाबों में इश्क़ घोल रहा है
बहका बहका सा मेरा ये मन
चली जब आज ठंडी ठंडी पवन
तुम्हारा आना जैसे ग़मो की रवानी
भाने लगा मुझको ये मौसम तूफानी
याद तुम्हारी तो है अब आनी जानी
तुम भी आ जाओ पूरी करो कहानी
साँसो में उठी इश्क़ की अगन
चली जब आज ठंडी ठंडी पवन
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