वाह रे इन्सान!
कैसा ये तूने काम किया..
खुद को तो क्या , तूने तो इस बार ख़ुदा को भी शर्मसार किया...
क्या मिला तुझे उस जीव को मार के?
अपने लाभ के लिए क्यूं तूने उस बेजुबान का सहारा लिया?
वाह रे इन्सान!
कैसा ये तूने काम किया..
भोजन के अभाव से तो वो हथिनी शायद बच ही जाती,
पर क्यूं तूने उसके बच्चे की भूख का फायदा इस बार उठा लिया?
वाह रे इन्सान!
कैसा ये तूने काम किया..
हो न जाए गर्भ में पल रहे बच्चे को कुछ,
उसको बचाने की खातिर खुद ही की जान से समझोता कर लिया..
वाह रे इन्सान!
कैसा ये तूने काम किया..
जीवों को तो तुम करते ही तुम हमेशा से ही खत्म,
एक अजन्मे जीव को गर्भ में ही खत्म कर ,सब हदों को तूने पार किया..
वाह रे इन्सान!
कैसा ये तूने काम किया..
फिर भी देख उस हथिनी का अहसान तुझ पे,
हो न जाए उसके जैसा हाल तेरा भी
तुझे बचाकर एक जानवर ने इंसानियत का सबूत दे दिया..
वाह रे इन्सान!
कैसा ये तूने काम किया..
खुद को तो क्या , तूने तो इस बार ख़ुदा को भी शर्मसार किया...
-Priya
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