Prerna Rai   (प्रेरणा राय)
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Joined 27 February 2019


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Joined 27 February 2019
27 APR AT 23:28

वक़्त की दहलीज़ पर
लम्हों के निशाँ अब गहरे हो गए है
अब जिंदगी .....
(शेष अनुशीर्षक में)

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25 JUL 2023 AT 20:52

तुम हमेशा
नेपथ्य से संचालन करती रही
और तुम्हारी अस्मिता
समय की बलि चढ़ती रही
तुम्हें अब
स्वीकारना होगा तुम्हारा यथार्थ !
ध्वस्त करने होंगे
कल्पना लोक के सुंदर स्वप्न
वरना तुम्हारा अस्तित्व
रोज सुबह की अखबारों के
किसी कोने का
हिस्सा बनेगा
और बिक जायेगा
रद्दी के भाव !

(शेष अनुशीर्षक में)

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7 FEB 2023 AT 11:00


शून्य की ओर चलते हुए
अनिर्वाय है समर्पण !
(शेष अनुशीर्षक में पढ़े)

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26 DEC 2022 AT 19:24

अतीत की गलियों से....
कैनवास पर बिखरे जिंदगी के रंग!
( अनुशीर्षक में पढ़े)

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13 SEP 2022 AT 10:55

यकीनन,
जीवन समिधा है
और सिद्धि है स्मृतियाँ!
(शेष अनुशीर्षक में)

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27 AUG 2022 AT 15:32

देखना
तुम्हारे ये करिश्माई रंग
अंत तक फैले रहेंगे
अपने रंग में
रंगने के लिए!

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25 AUG 2022 AT 21:25

संभव है
ईश्वर की भाषा हो मौन
स्याही हो प्रेम में डूबी भावनाएँ
और लिपि हो
प्रकृति,
पेड़ ,पौधें, पहाड़,नदियाँ और पर्वत
संभव है
यह संसार ईश्वर द्वारा
लिखी गई किताब हो!

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2 AUG 2022 AT 15:33

बेमुरव्वत सी ज़िंदगी की
ये उलझन ,
मुबारक हो!मुबारक हो! मुबारक हो!
(शेष अनुशीर्षक में)

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31 JUL 2022 AT 12:04

मन की आड़ी-टेढ़ी गलियों में
अक्सर बाकी रखती हूँ
कुछ स्थान,
(शेष अनुशीर्षक में)

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10 MAY 2022 AT 12:05

मैंने जब-जब
तुम्हें तलाशा
मैनें पाया जैसे कि
मैं तुम्हें नहीं
स्वयं जीवन को
तलाश रही हूँ!
(शेष अनुशीर्षक में)

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