Premlata Lahre   (Premlata lahre)
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Joined 3 June 2020


Joined 3 June 2020
17 HOURS AGO

मंजर जान लिया है अब हमने अपना
फ़र्क नहीं पड़ता अब किसी के बातों का

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17 HOURS AGO

रोशनी मिले तो फिर गिला इसके जाने का
बेहतर है सिख लूं मैं अंधेरे में चमकना

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17 HOURS AGO

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18 HOURS AGO

कराह कराहती रही
और ख़ामोशी खामोश रही ।
अपनी आवाज़ के लिए
वो बहरी बनती रही ।
फसाने उमड़ते रहे उसमें
पर लफ्ज़ बनने से पहले टूटती रही ।
हकीकत का आइना कुछ यूं देख लिया था उसने
की उसकी परछाई से बचने वो खुद से आंखे बचाती रही ।
उसे क्या पता की उसने क्या किया
वो सब कुछ राज़ रखने खुद पर मुखौटा सजाती रही ।
वो रहनुमा इबादत का दुआ सा सलामत रहे
उसे अपना साया मान ये रटन करती रही ।

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18 HOURS AGO

ख़ालिस हो कोई तो कहो
भले दिल की बात न कहो

मुसाफ़िर तेरे लिए ही तो हूं
भले अपने साथ मत कहो

कांटो के बहार से कौन उलझा भला
तुम खुद को दोषी मत कहो

है मेरी जमीं रेगिस्तां सी
तुम हाल अपने आशियां का कहो

खेला जिसने वो मिला कहां
तुम जीत हार छोड़ो उसे काश मत कहो

हो सके तो मिलते रहा करो
भले मुझे अपना दुश्मन कहो

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4 MAY AT 23:21

फ़रोज़ां सा एक झलक मिल गया
मेरा तकदीर सितारों ने आज सजाया होगा
की मेरे यार का आज चेहरा दिख गया

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4 MAY AT 23:16

किसी अजनबी का आवाज़ आया लगा
सुन के पता चला वो मेरे ही ख्याल थे

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4 MAY AT 23:10

जीने की वजह तुम्हारा राह है
तुम्हारा नाम अहसास हर वक्त पास है

न हो के भी तुम हो
हो के भी तुम नहीं हो
तुम्हारा होना न होना कोई राज़ नहीं
तुम्हारे साथ ने हर वक्त मुझे संभाला है

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4 MAY AT 22:56

तुम हो सको तो मिलो मुझे
हो सके तो पुकारों मुझे
बहुत कश्मकश है ज़िंदगी में
अपनी बात बताओं मुझे

तुमसे मिलने की तलाश ने ही तो
मेरी उलझनों को सुलझाया है
हो सके तो खोई राह में अपनी
तुम वापिस बुला लो मुझे

रोशनी समझ के आगे बढ़ी
खोह अंधेरे ने घेर लिया मुझे
बात बात पे रो के क्या करूं
तुमने खुद से दूर कर दिया मुझे

तुम्हें देख के सब छोड़ आई मैं
अब न ऐसे दूर भगाओ मुझे
जो भी तुच्छ समझना हो समझ लो
पर अपनी साएं में फिर जगह दे दो मुझे

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4 MAY AT 22:26

सब उमड़ घुमड़ के चला गया
उठता धुंआ धूल हो गया

कहां शुरू से शुरुआत कहूं
ख़ामोशी की चादर में रात फिर सो गया

हो कोई राहगीर तो ढूंढू
हर कोई यहां गुमराह बनता गया

काश कोई रबर ख्यालों को मिटा देता
कहानी किस्सों से तो उसे मिटाता गया

कुछ हो भला तो उसे याद दिलाऊं
जानी दुश्मन कर्मा मुझे सताता गया

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